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ज़्यादातर लोग, लंबी सर्दी के बाद गर्मी के मौसम का इंतज़ार करते हैं, ताकि हल्के कपड़े पहने सकें और धूप का मज़ा ले सकें। लेकिन यह गर्माहट भरा मौसम जितना अच्छा लगता है, उतना ख़तरनाक भी है। इसके ख़तरों को ज़्यादातर लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जो काफ़ी जोखिम भरा हो सकता है। और इसका एक सबसे बड़ा ख़तरा अनदेखा भी है - नुकसान पहुँचाने वाला UV रेडिएशन। केवल हमारे सोलर सिस्टम में मौजूद तारे से ही UV-A, UV-B और UV-C, तीन तरह की अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं। यह तीन तरह का रेडिएशन इंसानों को नुकसान पहुँचाने के लिए काफ़ी है, लेकिन ख़ुशक़िस्मती से इनमें से सबसे ख़तरनाक रेडिएशन ओज़ोन परत द्वारा सोख लिया जाता है। लेकिन फिर भी बचे हुए दो तरह के रेडिएशन का क्या होता है? सूरज की किरणों से होने वाले रेडिएशन का क्या असर पड़ता है और इसके नुकसान क्या हैं? 

आगे पढ़ें और UV रेडिएशन के ख़तरों के बारे में सब कुछ जानें!

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ज़्यादा UV रेडिएशन से सेहत से जुड़े बहुत से नुकसान होते हैं, जिनमें सबसे बड़ा नुकसान स्किन कैंसर है। लेकिन UV रेडिएशन है क्या और यह क्यों नुकसानदेह होता है?

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अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन (UV) किरणों के रूप में सूरज से उत्पन्न होता है। यह रेडिएशन 3 प्रकार का होता है-UV-A, UV-B, और UV-C, लेकिन इन तीनों में अंतर क्या है? 

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तीनों रेडिएशन में से UV-C, ऐसा रेडिएशन है, जिसकी वेवलेंथ सबसे कम होती है। यह UV किरणों का सबसे अधिक एनर्जी वाला और सबसे ख़तरनाक प्रकार है  ख़ुशक़िस्मती से UV-C वायुमंडल में प्रवेश नहीं कर पाता, क्योंकि इसे ओज़ोन परत द्वारा सोख लिया जाता है। जिसकी वजह से इससे ख़तरा बिल्कुल न के बराबर होता है।

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यह दूसरा सबसे कम वेवलेंथ वाला रेडिएशन है, जो सनबर्न की बड़ी वजह है। हालाँकि, इस रेडिएशन का अधिकतर हिस्सा ओज़ोन परत द्वारा सोख लिया जाता है, लेकिन फिर भी इसका 5% हिस्सा स्टेटोस्फेरिक शील्ड (समतापमंडलीय कवच) में प्रवेश कर जाता है। UV-B किरणों और स्किन कैंसर के बीच गहरा संबंध है।

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UV-A सबसे लंबी वेवलेंथ वाला रेडिएशन है, जो पृथ्वी तक बहुत भीतर तक आता है। यह हमारे वायुमंडल के 95% रेडिएशन के लिए ज़िम्मेदार है। UV-A से स्किन एजिंग की दिक़्क़तों, जैसे- धब्बे, झुर्रियों, के साथ-साथ स्किन कैंसर भी होता है।

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एक ओर जहाँ क़ुदरती से जन्म लेने वाले UV-C रेडिएशन को ओज़ोन परत सोख लेती है, वहीं दूसरी तरफ़ इंसानों द्वारा पैदा किया गया UV-C रेडिएशन वातावरण में बना रहता है और ख़तरा पैदा करता है। इंसान, जिन चीज़ों से UV-C रेडिएशन पैदा करता है, उनमें वेल्डिंग और मरकरी लैंप प्रमुख है।

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इंसान जिन चीज़ों से UV-C रेडिएशन पैदा करता है, उनमें एक और चीज़ प्रमुख है। वह है - कीटाणु मारने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला UV-C लैंप. इन डिवाइसों को बैक्टीरिया, वायरस और अन्य बीमारी फैलाने वाले विषाणुओं के DNA को डिएक्टीवेट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिससे उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी करने और बीमारी फैलाने की ताकत समाप्त हो जाती है।  COVID-19 के दौरान बड़े पैमाने पर इन लैंपों का इस्तेमाल किया गया था. 

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एक ओर जहाँ नई तकनीक वाले टैनिंग बेड में UV-A रेडिएशन का प्रयोग होता है (यह भी ख़तरनाक है), वहीं पुराने मॉडल के टैनिंग बेड में अभी तक आर्टिफीशियल UV-C रेडिएशन का उपयोग किया जाता है। यह समझदारी भरी बात है कि ख़ुद को जानबूझकर नुकसानदेह रेडिएशन के संपर्क में न लाया जाए।

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UV-B रेडिएशन स्किन की बाहरी परत एपिडर्मिस में प्रवेश करता है और सूरज की किरणों के संपर्क में आने के 15 मिनट के भीतर ही स्किन को नुकसान पहुँचाने लगता है।

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मौसम या समय के मुताबिक UV-B रेडिएशन की ताकत कम या ज़्यादा हो सकती है। आमतौर पर, सूरज की UV किरणें सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे के बीच सबसे ज़्यादा असरदार होती हैं।

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UV-B रेडिएशन से बेसल और स्क्वेमस सेल बनते हैं, जिनसे स्किन कैंसर या मेलानोमा होता है। इससे होंठों और आँख के कैंसर का भी ख़तरा बढ़ जाता है।   UV-B के कारण मेर्कल सेल कॉर्सिनोमा का भी ख़तरा भी बढ़ जाता है, जो एक ख़तरनाक और जानलेवा स्किन कैंसर है। इसके अलावा UV-B किरणें, स्किन को समय से पहले बूढ़ा कर देती हैं। 

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UV-A रेडिएशन के लंबे समय तक संपर्क में रहने से, यह रेडिएशन स्किन की डर्मिस परत में प्रवेश कर जाता है, जो स्किन सेल के DNA को नुकसान पहुँचा सकता है. 

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UV-A किरणें मिनटों में आपकी स्किन को झुलसा सकती है। इनके कारण DNA डैमेज हो सकता है, जिससे जेनेटिक डिफेक्ट (आनुवांशिक दोष) और म्यूटेशन डिसऑर्डर होता है, जिसके चलते स्किन के समय से पहले बूढ़ा दिखने और स्किन कैंसर से जुड़ी परेशानियाँ हो सकती हैं।

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इसके अलावा, UV-A रेडिएशन से सेहत को और भी ख़तरे हो सकते हैं। UV-B और UV-C रेडिएशन के विपरीत UV-A रेडिएशन बादलों और कांच में भी प्रवेश कर सकता है, जिससे बारिश के दिनों में या आपकी कार की विंडशील्ड के ज़रिए यह आपको अच्छा-ख़ासा नुकसान पहुँच सकता है।

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ग्लोबल सोलर UV इंडेक्स (UVI) पृथ्वी की सतह पर मौजूद रेडिएशन को नापने का आम सा पैमाना है. इंडेक्स नंबर जितना ज़्यादा होगा, आँखों और स्किन को नुकसान पहुँचने की संभावना उतनी ही ज़्यादा होगी। 

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सूरज की रौशनी में अधिक देर तक रहने से आँखों को नुकसान पहुँचता है, जिससे मोतियाबिंद हो सकता है। लंबे समय तक UV रेडिएशन के संपर्क में रहने से कॉर्निया को नुकसान और अँधापन भी हो सकता है। 

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यूनाइटेड स्टेट्स एनवॉयरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी (ईपीए) के अनुसार UV रेडिएशन के संपर्क में लंबे समय तक रहने से शरीर का इम्यून सिस्टम (प्रतिरोधक तंत्र) गड़बड़ा सकता और स्किन की नेचुरल डिफेंस (प्राकृतिक सुरक्षा व्यवस्था) को नुकसान पहुँच सकता है। इसकी वजह से स्किन की बाहरी बीमारियों, जैसे - कैंसर और इन्फेक्शन आदि से लड़ने की ताकत कम हो जाती है।

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एक ओर जहाँ UV-C रेडिएशन का सबसे ख़तरनाक प्रकार है, वहीं दूसरी तरफ़, इसका ख़तरा उन लोगों को ज़्यादा है, जो इसके आर्टिफीशियल स्त्रोतों के नज़दीक रहते हैं। जैसा कि पहले भी बताया जा चुका है। क़ुदरती रूप से पैदा होने वाले UV-C रेडिएशन को, ओज़ोन लेयर द्वारा सोख लिया जाता है। अब हम यह जानते हैं कि, प्रकृति के आधार पर सबसे ख़तरनाक रेडिएशन कौन सा है?

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UV-A संभावित रूप से सबसे ज़्यादा ख़तरनाक रेडिएशन है, क्योंकि यह अन्य रेडिएशनों के ख़तरों के लिए भी ज़िम्मेदार है और इसे वायुमंडल द्वारा फिल्टर भी नहीं किया जाता।

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हालाँकि, UV-B रेडिएशन का बड़ा हिस्सा ओज़ोन लेयर सोख लेती है, लेकिन इस तरह के रेडिएशन को सूरज की किरणों से पहुँचने वाले बड़े नुकसान का ज़िम्मेदार ठहराया जाता है। क्योंकि इससे स्किन कैंसर का ख़तरा होता है।

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UV रेडिएशन से किसी को भी ख़तरा हो सकता है। यहाँ तक कि उन लोगों को भी इससे ख़तरा हो सकता है, जिनकी स्किन का रंग गहरा है। लेकिन इसका ख़तरा उन लोगों के लिए अधिक होता है, जो सूरज के संपर्क में अधिक रहते हैं या जिन्हें बार-बार सनबर्न होता रहता है।

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हल्के रंग की स्किन व बालों वाले लोगों और हरी या नीली आँखों वाले लोगों को UV रेडिएशन का ख़तरा अधिक होता है।

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छोटे बच्चों और नवजात शिशुओं में UV रेडिएशन के चलते स्किन पर असर पड़ने की संभावनाएँ अत्यधिक होती हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि उनमें मेलानिन का लेवल कम होता है और उनकी स्किन की बाहरी परत पतली होती है। 

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दिलचस्प बात यह है कि बेटर हेल्थ के मुताबिक किसी इंसान के जीवन के शुरुआती दो दशकों का 25% हिस्सा सूरज की रौशनी में बीतता है।

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इसके अलावा, बेटर हेल्थ के अनुसार किसी व्यक्ति के जीवन के पहले 18 वर्षों में, UV रेडिएशन के असर की वजह से, कैंसर से स्किन को पहुँचने वाले नुकसान और स्किन एजिंग की दिक़्क़तें होने की संभावनाएँ अधिक होती हैं। 

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आमतौर पर सूरज सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे के बीच अपने शिखर पर होता है। लेकिन यह आपके रहने की जगह और साल का कौन सा समय चल रहा है, इस पर भी निर्भर करता है। इस समय घर के अंदर रहें और छाया में रहें।

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अगर आपको इस समय के बीच खेलने या काम के लिए बाहर निकलना है, तो ज़रूरी है कि आप ज़्यादा एसपीएफ (कम से कम 30 एसपीएफ) वाला सनस्क्रीन लगाएँ और चश्मा पहनें।

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आपके होंठ को भी, शरीर के अन्य हिस्सों की तरह ही रेडिएशन से नुकसान पहुँच सकता है। इसका मतलब है कि आपके होंठों को भी स्किन कैंसर हो सकता है। इसलिए 50 एसपीएफ वाले लिप सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें, जो नुकसानदेह UV-B किरणों से सुरक्षित रखता है और आप इस अक्सर नज़रअंदाज़ किए जाने वाले कैंसर से भी सुरक्षित रहते हैं।

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एक बड़े रिम वाला हैट पहनें और हल्के कॉटन के कपड़े पहनें, ताकि आपकी स्किन को बेहतर ढंग से हवा मिल सके।  

स्त्रोत -(नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट)

(वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन) (ईपीए) (बेटर हेल्थ)

इसे भी देखें: इस गर्मी में लू से कैसे बचें। 

कितना ख़तरनाक है UV रेडिएशन?

जुलाई को UV सुरक्षा जागरुकता माह कहा जाता है

16/08/23 por StarsInsider

HEALTH Lifestyle

ज़्यादातर लोग, लंबी सर्दी के बाद गर्मी के मौसम का इंतज़ार करते हैं, ताकि हल्के कपड़े पहने सकें और धूप का मज़ा ले सकें। लेकिन यह गर्माहट भरा मौसम जितना अच्छा लगता है, उतना ख़तरनाक भी है। इसके ख़तरों को ज़्यादातर लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जो काफ़ी जोखिम भरा हो सकता है। और इसका एक सबसे बड़ा ख़तरा अनदेखा भी है - नुकसान पहुँचाने वाला UV रेडिएशन। केवल हमारे सोलर सिस्टम में मौजूद तारे से ही UV-A, UV-B और UV-C, तीन तरह की अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं। यह तीन तरह का रेडिएशन, इंसानों को नुकसान पहुँचाने के लिए काफ़ी है, लेकिन ख़ुशक़िस्मती से इनमें से सबसे ख़तरनाक रेडिएशन ओज़ोन परत द्वारा सोख लिया जाता है। लेकिन फिर भी बचे हुए दो तरह के रेडिएशन का क्या होता है? सूरज की किरणों से होने वाले रेडिएशन का क्या असर पड़ता है और इसके नुकसान क्या हैं? 

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