






























सावधान! मर्दों को यह लक्षण नहीं करने चाहिए नज़रअंदाज़
- आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों की उम्र कम होती है। महिलाओं की तुलना में, पुरुषों की लाइफ़ एक्सपेक्टेंसी दर कम होने की कई वजहें हैं, जिसमें एक वजह प्रीवेंटिव हेल्थकेयर को लेकर उनकी लापरवाही है। पुरुष अस्पताल जाना या डॉक्टर को दिखाना कम पसंद करते हैं। जबतक वो जाते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। बहुत से पुरुष गंभीर लक्षणों को नज़र अंदाज कर देते हैं, लेकिन कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिन्हें नज़र अंदाज़ किया जाना जानलेवा साबित हो सकता है। कुछ ऐसे लक्षणों को हमने इस गैलरी में लिस्ट किया है। क्लिक करें और देखें कि क्या आपमें इनमें से कोई लक्षण है।
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सीने में दर्द
- चेस्ट में होने वाला हर दर्द हार्ट अटैक जैसी सीरियस बीमारी का संकेत नहीं होता, फिर भी इसे कभी भी नज़र अंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। अमेरिका सहित कई देशों में हार्ट से जुड़ी समस्या पुरुषों की मृत्यु की एक बहुत बड़ी वजह रही हैं।
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सीने में दर्द
- आपको डॉक्टर से फ़ौरन सलाह लेनी चाहिए। अगर आपको चेस्ट पेन के साथ दूसरे लक्षण भी नज़र आ रहे हैं, जैसे सांस लेने में तकलीफ़ या पसीना आना, तो आपको बिल्कुल देर नहीं करनी चाहिए।
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सीने में दर्द
- क्लिनिकल साइंस के इंस्ट्रक्टर डॉ. ब्रेट ए. व्हाइट बताते हैं, “यह एनजाइना या इस्केमिक हार्ट डिज़ीज़ का संकेत हो सकता है, जो हार्ट अटैक या मायोकार्डियल इंफ़ार्क्शन के पहले होता है। यह घातक हो सकता है।“
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अचानक वज़न बढ़ना या कम होना
- हम में से बहुत लोगों के वज़न में उतार-चढ़ाव होता है, लेकिन ये आमतौर पर थोड़ा-बहुत होता है। और जब ऐसा नहीं होता, तो हम ये मान लेते हैं कि वज़न बढ़ना या घटना एक लम्बे अरसे से हो रहा है।
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अचानक वज़न बढ़ना या कम होना
- अगर आप अपनी एक्सरसाइज़ या डाईट में कोई बदलाव किए बिना, कम समय में लगभग पाँच पाउंड (2.26 किग्रा) या उससे अधिक वजन घटाते या बढ़ाते हैं, तो यह थायरॉयड डिसऑर्डर, हाइपोथायरायडिज्म (एक अंडरएक्टिव थायरॉयड) या हाइपरथायरॉयडिज्म (एक ओवरएक्टिव थायराइड), का संकेत हो सकता है।
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स्टूल में बदलाव
- आपको अपने स्टूल के रंग, कन्सिस्टेन्सी या किसी भी तरह के बदलाव की जाँच करानी चाहिए। लाल या काला स्टूल ख़ून से रिलेटेड परेशानियों की तरफ़ इशारा हो सकता है। यह इस बात की चेतावनी है कि आपके शरीर में कुछ ग़लत हो रहा है।
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स्टूल में बदलाव
- डॉक्टर व्हाइट कहते हैं, "आंतों में खून का निकलना एक सीरियस कंडीशन है और ये कोलन कैंसर का संकेत हो सकता है।“ वक़्त रहते कोलन कैंसर का पता लग जाने से पेशेंट के ज़िंदा रहने के चांसेस बहुत बढ़ जाते हैं। इसलिए अगर आपको अपने स्टूल में कुछ भी अलग दिखाई दे तो फ़ौरन इसकी जाँच कराएँ।
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पेशाब में किसी तरह का बदलाव
- पेशाब करने में दिक्कत या दर्द होने से लेकर बार-बार पेशाब जाना (बाथरूम जाने के लिए रात में उठना), ये सभी वार्निंग साइन हैं जिन्हें नज़र अंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
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पेशाब में किसी तरह का बदलाव
- ये सभी लक्षण प्रोस्टेट कैंसर से जुड़े हो सकते हैं। किसी भी कैंसर की तरह इसका भी जितनी जल्दी पता चलेगा, आपके ज़िंदा रहने के चांसेस उतने ही ज्यादा होंगे। ऐसे में, पेशाब में किसी भी बदलाव पर नज़र रखना और डॉक्टर से इसकी जाँच करवाना बहुत ही ज़रूरी है।
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सुन्न पड़ जाना या झुनझुनी लगना
- अगर आप अपनी बाँहों, हाथों या पैरों में झुनझुनी महसूस करते हैं, तो यह सीरियस हो सकता है। दरअस्ल, अर्थराइटिस, दबी हुई नसें, कार्पल टनल सिंड्रोम और डायबिटीज़ जैसी कई मेडिकल कंडीशंस हैं, जो आपके शरीर में सुन्नी और झुनझुनी की वजह हो सकती हैं।
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सुन्न पड़ जाना या झुनझुनी लगना
- यह थोरैसिक आउटलेट सिंड्रोम (टीओएस) का सिम्प्टम भी हो सकता है, जो चोट लगने या बहुत ज्यादा मूवमेंट करने की वजह से होता है। पुरुषों में टीओएस के चांसेस ज्यादा होते हैं, ख़ासकर अगर वे एथलीट हैं। वैस्कुलर सर्जन डॉ. जेफरी एप्पल बताते हैं, "टीओएस तब होता है जब आपके कॉलर-बोन और ऊपरी रिब्स (या थोरैसिक आउटलेट) के बीच ब्लड वेसल और नर्व दब जाती हैं, जिससे आपकी गर्दन, कंधों, बाँहों और उंगलियों में दर्द और/या सुन्नी हो जाती है।“
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पैरों में ऐंठन या दर्द होना
- बहुत ज्यादा काम करने या डीहाइड्रेशन की वजह से पैरों में ऐंठन हो सकती है। अगर आपको चलते समय पैरों में रुक रुक कर एंठन होती है, तो यह क्लौडिकेशन (अकड़न) का संकेत हो सकता है। यह ब्लड फ्लो की रुकावट से होता है।
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पैरों में ऐंठन या दर्द होना
- आर्टरीज में ब्लॉकेज की वजह से माँसपेशियों तक ख़ून नहीं पहुँच पाता, जिसकी वजह से उनमें ऐंठन हो जाती है। अगर आप भी इस तरह का कुछ महसूस कर रहे हैं, तो आपको फ़ौरन वैस्कुलर डिज़ीज़ का चेकअप करवाना चाहिए।
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टेस्टिकल्स(अंडकोष) में सूजन
- टेस्टिकल्स में सूजन या भारीपन महसूस करना किसी ट्रॉमा या इन्फेक्शन का साइन हो सकता है। यह ज़रूरत से ज्यादा फ्लूइड बिल्ड-अप या वैरिकोसेल (नसों का बढ़ना) की वजह से हो सकता है। यह कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
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टेस्टिकल्स(अंडकोष) में सूजन
- टेस्टिक्यूलर कैंसर आमतौर पर एक छोटी दर्दरहित गांठ की शक्ल में दिखना शुरू होता है, जो समय के साथ बढ़ भी सकता है। आमतौर पर 40 साल से कम उम्र के पुरुषों में इसके होने का ख़तरा ज्यादा होता है।
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मुँह में ख़ुश्की
- सलाइवा जितना बनना चाहिए, अगर उतना न बने तब ड्राई माउथ की प्रॉब्लम होती है। डीहाइड्रेशन होना इसकी वजह हो सकती है, लेकिन अगर आपके साथ ये दिक्कत नहीं है तो ड्राई माउथ को नज़र अंदाज़ न करें। हालांकि, अगर आप मेडिकेशन पर हैं तो ये उसका साइड-इफेक्ट हो सकता है।
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मुँह में ख़ुश्की
- अगर आपका मुँह सूख रहा है या ख़ुश्क हो रहा है, तो अपने डॉक्टर से बात करें। ड्राई माउथ साँसों की दुर्गंध और कैविटीज़ जैसे ओरल हेल्थ को बढ़ावा दे सकता है। हालाँकि, ड्राई माउथ कई अन्य समस्याओं का भी लक्षण हो सकता है, जैसे डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, अल्ज़ाइमर और पार्किंसंस।
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चिड़चिड़ापन और गुस्सा
- हम सभी समय-समय पर थोड़ा परेशान हो जाते हैं और यह नॉर्मल है। लेकिन, हर वक़्त चिड़चिड़ा होना और गुस्से में रहना नॉर्मल नहीं है। यह लो टेस्टोस्टेरोन का लक्षण हो सकता है, या मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्या हो सकती है।
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चिड़चिड़ापन और गुस्सा
- बात-बात पर गुस्सा आना और हर वक़्त चिड़चिड़ापन महसूस करना पुरुषों में डिप्रेशन का संकेत हो सकता है, इसलिए आप अगर ऐसा महसूस करते हैं तो जल्द से जल्द आपको थेरेपिस्ट की मदद लेनी चाहिए।
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चिड़चिड़ापन और गुस्सा
- ज़हनी समस्याओं की वजह से पुरुष ज़्यादा सुसाइड करते हैं। काउंसलर हन्ना मिलफोर्ड का कहना है, "पुरुषों के मेंटल हेल्थ से जुड़े स्टिग्मा ख़त्म करना और उनके सेल्फ-लव को नॉर्मलाइज़ करना महत्वपूर्ण है। एक लाइसेंस प्राप्त मेंटल हेल्थ थेरेपिस्ट की मदद लेना कारगर हो सकता है।
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इरेक्टाइल डिसफंक्शन
- इरेक्शन लाने और उसे बनाए रखने की दिक्क़त किसी भी पुरुष के लिए बुरी और शर्मिंदा करने वाली बात हो सकती है। इससे जुड़े स्टिग्मा की वजह से कई पुरुष इसकी जाँच नहीं कराते हैं। इरेक्टाइल डिसफंक्शन एक ख़राब लाइफ़ स्टाइल और स्ट्रेस की वजह से हो सकता है, लेकिन यह किसी गंभीर बीमारी का लक्षण भी हो सकता है।
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इरेक्टाइल डिसफंक्शन
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, हार्मोन असंतुलन और डायबिटीज़ का भी संकेत हो सकता है। मेंटल हेल्थ इश्यूज के चांसेस तो होते ही हैं!
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चक्कर आना या चेहरा लाल हो जाना
- क्या आपको चक्कर आ रहा है और लग रहा है जैसे आपके सिर में खून दौड़ने लगा है? यह हाई ब्लड प्रेशर का संकेत हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर के हमेशा लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन यह उसके लक्षणों में से एक है।
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चक्कर आना या चेहरा लाल हो जाना
- अगर सही समय पर इसका इलाज नहीं कराया, तो हाई ब्लड प्रेशर से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और किडनी की बीमारी होने का खतरा बढ़ सकता है। यह जानलेवा साबित हो सकता है।
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पकड़ कमज़ोर होना (ग्रिप ख़राब होना)
- जैसा कि पहले बताया गया है, कमज़ोर ग्रिप, ख़ासकर हाथों में झुनझुनी के साथ, थोरैसिक आउटलेट सिंड्रोम का संकेत हो सकती है।
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पकड़ कमज़ोर होना (ग्रिप ख़राब होना)
- हमारी ग्रिप की मज़बूती हमारी संपूर्ण सेहत को दर्शाती है। इसलिए, ग्रिप कमज़ोर होने को किसी भी तरह नज़र अंदाज नहीं किया जाना चाहिए। फ़िजिकल थेरेपिस्ट मारिया कोल कहती हैं, "एक्टिव और इंडिपेंडेंट रहने की एबिलिटी अक्सर हमारे हाथों से शुरू होती है। कमज़ोर ग्रिप की वजह से आपको जीवन में काफ़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए आपको हाथ और पकड़ की ताक़त का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।"
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हाथों या उंगलियों के रंग में बदलाव
- ऐसा ठंड में भी हो सकता है, लेकिन यह इस बात का लक्षण भी हो सकता है कि आपका ब्लड सर्कुलेशन सही नहीं है। ऑक्सीजन वाला ख़ून लाल होता है, जिसकी वजह से उंगलियां सफ़ेद, बैंगनी या नीला नहीं बल्कि गुलाबी रंग की दिखती हैं। खराब सर्कुलेशन की वजह से यह नीला रंग नज़र आता है। इसे सायनोसिस कहा जाता है।
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हाथों या उंगलियों के रंग में बदलाव
- अगर आपकी उंगलियों का रंग बैंगनी या नीला हो गया है, तो यह ब्युर्जर रोग, रेनॉड सिंड्रोम या अकेनबाक सिंड्रोम का संकेत हो सकता है।
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गर्दन या कंधों में दर्द रहना
- हम सभी को गले या कंधों में कभी न कभी थोड़ा-बहुत दर्द महसूस होता ही है, लेकिन बिना किसी चोट के इन जगहों पर भयानक दर्द एक वार्निंग साइन हो सकता है। अगर दर्द के साथ झुनझुनी या सुन्नी भी महसूस होती है, तो यह आपकी रीढ़ की हड्डी में नर्व कम्प्रेशन का संकेत हो सकता है।
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गर्दन या कंधों में दर्द रहना
- इन जगहों में दर्द ऑस्टियोआर्थराइटिस के साथ-साथ थोरैसिक आउटलेट सिंड्रोम का भी संकेत हो सकता है, जिसमें कॉलरबोन और रिब्स के बीच के ब्लड वेसेल और नर्व दब जाते हैं।
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सावधान! मर्दों को यह लक्षण नहीं करने चाहिए नज़रअंदाज़
- आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों की उम्र कम होती है। महिलाओं की तुलना में, पुरुषों की लाइफ़ एक्सपेक्टेंसी दर कम होने की कई वजहें हैं, जिसमें एक वजह प्रीवेंटिव हेल्थकेयर को लेकर उनकी लापरवाही है। पुरुष अस्पताल जाना या डॉक्टर को दिखाना कम पसंद करते हैं। जबतक वो जाते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। बहुत से पुरुष गंभीर लक्षणों को नज़र अंदाज कर देते हैं, लेकिन कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिन्हें नज़र अंदाज़ किया जाना जानलेवा साबित हो सकता है। कुछ ऐसे लक्षणों को हमने इस गैलरी में लिस्ट किया है। क्लिक करें और देखें कि क्या आपमें इनमें से कोई लक्षण है।
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सीने में दर्द
- चेस्ट में होने वाला हर दर्द हार्ट अटैक जैसी सीरियस बीमारी का संकेत नहीं होता, फिर भी इसे कभी भी नज़र अंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। अमेरिका सहित कई देशों में हार्ट से जुड़ी समस्या पुरुषों की मृत्यु की एक बहुत बड़ी वजह रही हैं।
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सीने में दर्द
- आपको डॉक्टर से फ़ौरन सलाह लेनी चाहिए। अगर आपको चेस्ट पेन के साथ दूसरे लक्षण भी नज़र आ रहे हैं, जैसे सांस लेने में तकलीफ़ या पसीना आना, तो आपको बिल्कुल देर नहीं करनी चाहिए।
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सीने में दर्द
- क्लिनिकल साइंस के इंस्ट्रक्टर डॉ. ब्रेट ए. व्हाइट बताते हैं, “यह एनजाइना या इस्केमिक हार्ट डिज़ीज़ का संकेत हो सकता है, जो हार्ट अटैक या मायोकार्डियल इंफ़ार्क्शन के पहले होता है। यह घातक हो सकता है।“
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अचानक वज़न बढ़ना या कम होना
- हम में से बहुत लोगों के वज़न में उतार-चढ़ाव होता है, लेकिन ये आमतौर पर थोड़ा-बहुत होता है। और जब ऐसा नहीं होता, तो हम ये मान लेते हैं कि वज़न बढ़ना या घटना एक लम्बे अरसे से हो रहा है।
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अचानक वज़न बढ़ना या कम होना
- अगर आप अपनी एक्सरसाइज़ या डाईट में कोई बदलाव किए बिना, कम समय में लगभग पाँच पाउंड (2.26 किग्रा) या उससे अधिक वजन घटाते या बढ़ाते हैं, तो यह थायरॉयड डिसऑर्डर, हाइपोथायरायडिज्म (एक अंडरएक्टिव थायरॉयड) या हाइपरथायरॉयडिज्म (एक ओवरएक्टिव थायराइड), का संकेत हो सकता है।
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स्टूल में बदलाव
- आपको अपने स्टूल के रंग, कन्सिस्टेन्सी या किसी भी तरह के बदलाव की जाँच करानी चाहिए। लाल या काला स्टूल ख़ून से रिलेटेड परेशानियों की तरफ़ इशारा हो सकता है। यह इस बात की चेतावनी है कि आपके शरीर में कुछ ग़लत हो रहा है।
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स्टूल में बदलाव
- डॉक्टर व्हाइट कहते हैं, "आंतों में खून का निकलना एक सीरियस कंडीशन है और ये कोलन कैंसर का संकेत हो सकता है।“ वक़्त रहते कोलन कैंसर का पता लग जाने से पेशेंट के ज़िंदा रहने के चांसेस बहुत बढ़ जाते हैं। इसलिए अगर आपको अपने स्टूल में कुछ भी अलग दिखाई दे तो फ़ौरन इसकी जाँच कराएँ।
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पेशाब में किसी तरह का बदलाव
- पेशाब करने में दिक्कत या दर्द होने से लेकर बार-बार पेशाब जाना (बाथरूम जाने के लिए रात में उठना), ये सभी वार्निंग साइन हैं जिन्हें नज़र अंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
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पेशाब में किसी तरह का बदलाव
- ये सभी लक्षण प्रोस्टेट कैंसर से जुड़े हो सकते हैं। किसी भी कैंसर की तरह इसका भी जितनी जल्दी पता चलेगा, आपके ज़िंदा रहने के चांसेस उतने ही ज्यादा होंगे। ऐसे में, पेशाब में किसी भी बदलाव पर नज़र रखना और डॉक्टर से इसकी जाँच करवाना बहुत ही ज़रूरी है।
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सुन्न पड़ जाना या झुनझुनी लगना
- अगर आप अपनी बाँहों, हाथों या पैरों में झुनझुनी महसूस करते हैं, तो यह सीरियस हो सकता है। दरअस्ल, अर्थराइटिस, दबी हुई नसें, कार्पल टनल सिंड्रोम और डायबिटीज़ जैसी कई मेडिकल कंडीशंस हैं, जो आपके शरीर में सुन्नी और झुनझुनी की वजह हो सकती हैं।
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सुन्न पड़ जाना या झुनझुनी लगना
- यह थोरैसिक आउटलेट सिंड्रोम (टीओएस) का सिम्प्टम भी हो सकता है, जो चोट लगने या बहुत ज्यादा मूवमेंट करने की वजह से होता है। पुरुषों में टीओएस के चांसेस ज्यादा होते हैं, ख़ासकर अगर वे एथलीट हैं। वैस्कुलर सर्जन डॉ. जेफरी एप्पल बताते हैं, "टीओएस तब होता है जब आपके कॉलर-बोन और ऊपरी रिब्स (या थोरैसिक आउटलेट) के बीच ब्लड वेसल और नर्व दब जाती हैं, जिससे आपकी गर्दन, कंधों, बाँहों और उंगलियों में दर्द और/या सुन्नी हो जाती है।“
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पैरों में ऐंठन या दर्द होना
- बहुत ज्यादा काम करने या डीहाइड्रेशन की वजह से पैरों में ऐंठन हो सकती है। अगर आपको चलते समय पैरों में रुक रुक कर एंठन होती है, तो यह क्लौडिकेशन (अकड़न) का संकेत हो सकता है। यह ब्लड फ्लो की रुकावट से होता है।
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पैरों में ऐंठन या दर्द होना
- आर्टरीज में ब्लॉकेज की वजह से माँसपेशियों तक ख़ून नहीं पहुँच पाता, जिसकी वजह से उनमें ऐंठन हो जाती है। अगर आप भी इस तरह का कुछ महसूस कर रहे हैं, तो आपको फ़ौरन वैस्कुलर डिज़ीज़ का चेकअप करवाना चाहिए।
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टेस्टिकल्स(अंडकोष) में सूजन
- टेस्टिकल्स में सूजन या भारीपन महसूस करना किसी ट्रॉमा या इन्फेक्शन का साइन हो सकता है। यह ज़रूरत से ज्यादा फ्लूइड बिल्ड-अप या वैरिकोसेल (नसों का बढ़ना) की वजह से हो सकता है। यह कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
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टेस्टिकल्स(अंडकोष) में सूजन
- टेस्टिक्यूलर कैंसर आमतौर पर एक छोटी दर्दरहित गांठ की शक्ल में दिखना शुरू होता है, जो समय के साथ बढ़ भी सकता है। आमतौर पर 40 साल से कम उम्र के पुरुषों में इसके होने का ख़तरा ज्यादा होता है।
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मुँह में ख़ुश्की
- सलाइवा जितना बनना चाहिए, अगर उतना न बने तब ड्राई माउथ की प्रॉब्लम होती है। डीहाइड्रेशन होना इसकी वजह हो सकती है, लेकिन अगर आपके साथ ये दिक्कत नहीं है तो ड्राई माउथ को नज़र अंदाज़ न करें। हालांकि, अगर आप मेडिकेशन पर हैं तो ये उसका साइड-इफेक्ट हो सकता है।
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मुँह में ख़ुश्की
- अगर आपका मुँह सूख रहा है या ख़ुश्क हो रहा है, तो अपने डॉक्टर से बात करें। ड्राई माउथ साँसों की दुर्गंध और कैविटीज़ जैसे ओरल हेल्थ को बढ़ावा दे सकता है। हालाँकि, ड्राई माउथ कई अन्य समस्याओं का भी लक्षण हो सकता है, जैसे डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, अल्ज़ाइमर और पार्किंसंस।
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चिड़चिड़ापन और गुस्सा
- हम सभी समय-समय पर थोड़ा परेशान हो जाते हैं और यह नॉर्मल है। लेकिन, हर वक़्त चिड़चिड़ा होना और गुस्से में रहना नॉर्मल नहीं है। यह लो टेस्टोस्टेरोन का लक्षण हो सकता है, या मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्या हो सकती है।
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- बात-बात पर गुस्सा आना और हर वक़्त चिड़चिड़ापन महसूस करना पुरुषों में डिप्रेशन का संकेत हो सकता है, इसलिए आप अगर ऐसा महसूस करते हैं तो जल्द से जल्द आपको थेरेपिस्ट की मदद लेनी चाहिए।
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चिड़चिड़ापन और गुस्सा
- ज़हनी समस्याओं की वजह से पुरुष ज़्यादा सुसाइड करते हैं। काउंसलर हन्ना मिलफोर्ड का कहना है, "पुरुषों के मेंटल हेल्थ से जुड़े स्टिग्मा ख़त्म करना और उनके सेल्फ-लव को नॉर्मलाइज़ करना महत्वपूर्ण है। एक लाइसेंस प्राप्त मेंटल हेल्थ थेरेपिस्ट की मदद लेना कारगर हो सकता है।
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इरेक्टाइल डिसफंक्शन
- इरेक्शन लाने और उसे बनाए रखने की दिक्क़त किसी भी पुरुष के लिए बुरी और शर्मिंदा करने वाली बात हो सकती है। इससे जुड़े स्टिग्मा की वजह से कई पुरुष इसकी जाँच नहीं कराते हैं। इरेक्टाइल डिसफंक्शन एक ख़राब लाइफ़ स्टाइल और स्ट्रेस की वजह से हो सकता है, लेकिन यह किसी गंभीर बीमारी का लक्षण भी हो सकता है।
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इरेक्टाइल डिसफंक्शन
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, हार्मोन असंतुलन और डायबिटीज़ का भी संकेत हो सकता है। मेंटल हेल्थ इश्यूज के चांसेस तो होते ही हैं!
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चक्कर आना या चेहरा लाल हो जाना
- क्या आपको चक्कर आ रहा है और लग रहा है जैसे आपके सिर में खून दौड़ने लगा है? यह हाई ब्लड प्रेशर का संकेत हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर के हमेशा लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन यह उसके लक्षणों में से एक है।
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चक्कर आना या चेहरा लाल हो जाना
- अगर सही समय पर इसका इलाज नहीं कराया, तो हाई ब्लड प्रेशर से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और किडनी की बीमारी होने का खतरा बढ़ सकता है। यह जानलेवा साबित हो सकता है।
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पकड़ कमज़ोर होना (ग्रिप ख़राब होना)
- जैसा कि पहले बताया गया है, कमज़ोर ग्रिप, ख़ासकर हाथों में झुनझुनी के साथ, थोरैसिक आउटलेट सिंड्रोम का संकेत हो सकती है।
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पकड़ कमज़ोर होना (ग्रिप ख़राब होना)
- हमारी ग्रिप की मज़बूती हमारी संपूर्ण सेहत को दर्शाती है। इसलिए, ग्रिप कमज़ोर होने को किसी भी तरह नज़र अंदाज नहीं किया जाना चाहिए। फ़िजिकल थेरेपिस्ट मारिया कोल कहती हैं, "एक्टिव और इंडिपेंडेंट रहने की एबिलिटी अक्सर हमारे हाथों से शुरू होती है। कमज़ोर ग्रिप की वजह से आपको जीवन में काफ़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए आपको हाथ और पकड़ की ताक़त का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।"
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हाथों या उंगलियों के रंग में बदलाव
- ऐसा ठंड में भी हो सकता है, लेकिन यह इस बात का लक्षण भी हो सकता है कि आपका ब्लड सर्कुलेशन सही नहीं है। ऑक्सीजन वाला ख़ून लाल होता है, जिसकी वजह से उंगलियां सफ़ेद, बैंगनी या नीला नहीं बल्कि गुलाबी रंग की दिखती हैं। खराब सर्कुलेशन की वजह से यह नीला रंग नज़र आता है। इसे सायनोसिस कहा जाता है।
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हाथों या उंगलियों के रंग में बदलाव
- अगर आपकी उंगलियों का रंग बैंगनी या नीला हो गया है, तो यह ब्युर्जर रोग, रेनॉड सिंड्रोम या अकेनबाक सिंड्रोम का संकेत हो सकता है।
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गर्दन या कंधों में दर्द रहना
- हम सभी को गले या कंधों में कभी न कभी थोड़ा-बहुत दर्द महसूस होता ही है, लेकिन बिना किसी चोट के इन जगहों पर भयानक दर्द एक वार्निंग साइन हो सकता है। अगर दर्द के साथ झुनझुनी या सुन्नी भी महसूस होती है, तो यह आपकी रीढ़ की हड्डी में नर्व कम्प्रेशन का संकेत हो सकता है।
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गर्दन या कंधों में दर्द रहना
- इन जगहों में दर्द ऑस्टियोआर्थराइटिस के साथ-साथ थोरैसिक आउटलेट सिंड्रोम का भी संकेत हो सकता है, जिसमें कॉलरबोन और रिब्स के बीच के ब्लड वेसेल और नर्व दब जाते हैं।
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क्या आपने इनमें से किसी लक्षण का अनुभव किया है?
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आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों की उम्र कम होती है। महिलाओं की तुलना में, पुरुषों की लाइफ़ एक्सपेक्टेंसी दर कम होने की कई वजहें हैं, जिसमें एक वजह प्रीवेंटिव हेल्थकेयर को लेकर उनकी लापरवाही है। पुरुष अस्पताल जाना या डॉक्टर को दिखाना कम पसंद करते हैं। जबतक वो जाते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
बहुत से पुरुष गंभीर लक्षणों को नज़र अंदाज कर देते हैं, लेकिन कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिन्हें नज़र अंदाज़ किया जाना जानलेवा साबित हो सकता है। कुछ ऐसे लक्षणों को हमने इस गैलरी में लिस्ट किया है। क्लिक करें और देखें कि क्या आपमें इनमें से कोई लक्षण है।
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