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इन कामों को चोरी-छिपे करती हैं महिलाएँ, लेकिन कबूल नहीं करती
- सभी महिलाएँ, अकेले में कुछ ऐसी चीज़ें करती हैं, जिनके बारे में किसी को पता नहीं होता। हालाँकि, इसमें कोई ग़लत बात नहीं है। इन कामों में से बहुत से काम ऐसे हैं, जिन्हें राज़ ही रखा जाता है, क्योंकि महिलाएँ सबके सामने इन्हें कबूल करते हुए शर्माती हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कुछ संस्कृतियों में इन कामों को करने वाली महिलाओं को 'महिला' नहीं माना जाता।
इस गैलरी में हम महिलाओं के व्यवहार को गहराई से जानेंगे और आपको कुछ ऐसे कामों के बारे में बताएंगे, जो अधिकतर महिलाएँ करती तो हैं, मगर कबूल नहीं करती। जानने के लिए क्लिक करें।
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फ़ार्ट करना
- हाँ, महिलाएँ भी फ़ार्ट करती हैं, लेकिन मानती नहीं। हो सकता है कि वे पुरुषों के बराबर न फ़ार्ट करती हों, लेकिन फ़ार्ट तो करती ही हैं।
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फ़ार्ट करना
- गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर पूर्णा कश्यप की मानें, तो एक महिला औसत रूप से दिन में 10-20 बार फ़ार्ट करती है। पेट में हवा भरना एक सामान्य बात है और यह स्वस्थ पाचन का संकेत है।
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साइबर स्टॉकिंग
- परेशान मत होइए, हम उस स्टॉकिंग की बात कर रहे हैं, जो 'लीगल' है। जैसे- अपने एक्स को स्टॉक करना या ऑफिस के सबसे क्यूट बंदे को देखना।
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साइबर स्टॉकिंग
- महिलाएँ खोजी प्रवृत्ति की होती हैं और उनकी जिज्ञासा को सोशल मीडिया शांत करता है। इसमें तस्वीरें देखते हुए घंटो बिताना, लाइक और कमेंट में समय लगाना भी शामिल हो सकता है।
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वे अपनी ब्रा को बार-बार नहीं धोतीं
- कुछ ब्रा इतनी नाज़ुक होती हैं कि उन्हें ध्यान से धोना पड़ता है। कुछ ब्रा को हाथों से धोना पड़ता है। हालाँकि, लंबे समय तक न धोने से ब्रा जल्दी ख़राब होती है। इसके अलावा, बिना धुली ब्रा पहनना 'औरतों की सेहत' के लिए भी अच्छा नहीं है।
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वे अपनी ब्रा को बार-बार नहीं धोतीं
- वॉशिंग मशीन ब्रा के लिए अच्छी नहीं होती है और फिर ड्रायर की तो बात ही मत कीजिए। शायद, इसलिए महिलाओं को ब्रा धोना पकाऊ काम लगता है। यही वजह है कि महिलाएँ उन्हें बहुत समय तक पहने रहती हैं।
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वे रोज़ाना बाल नहीं धोतीं
- अधिकतर पुरूष रोज़ाना शॉवर लेते समय अपने बाल धोते हैं, जबकि महिलाएँ ऐसा नहीं करतीं। यह गंदगी नहीं है, बल्कि ऐसा करना बालों की सेहत के लिए बहुत अच्छा है। क्योंकि रोज़ बाल धोने से बालों का क़ुदरती पोषण गायब हो जाता है।
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वे रोज़ाना बाल नहीं धोतीं
- वहीं, इसकी एक और वजह भी है। बालों को धोने में बहुत ज़्यादा समय लगता है। आप चाहें शैंपू से बाल धोएँ या फिर कंडीशनर, मास्क या ऑयल लगाएँ। लेकिन, रोज़ाना?
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शीशे में ख़ुद को देखकर मोटा महसूस करना
- हम सभी जानते हैं कि महिलाओं को अपनी 'बॉडी इमेज' के लिए कितना कुछ करना पड़ता है। महिलाओं पर 'राइट साइज़' में दिखने का भी बहुत दबाव होता है। एक स्टडी के अनुसार, कथित तौर पर शरीर के हिसाब से सही वज़न वाली महिलाओं में भी बॉडी डिस्मॉर्फ़िया (मोटा महसूस करना) पाया जाता है।
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शीशे में ख़ुद को देखकर मोटा महसूस करना
- इस स्टडी में, शरीर के हिसाब से सही वज़न वाली महिलाओं को चुना गया था। चुनी गई 12 महिलाओं को शीशे में देखने और फिर ख़ुद के लिए एक शब्द चुनने के लिए कहा गया था। 34% महिलाओं ने कहा कि वे 'मोटी' हैं।
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शॉवर में पेशाब करना
- सच-सच कहें, तो महिला और पुरूष दोनों ऐसा करते हैं। हालाँकि खड़े होकर पेशाब करने से महिलाओं में पेल्विक फ्लोर फंक्शन गड़बड़ा सकता है।
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शॉवर में पेशाब करना
- डॉ. एलीसिया जेफ्री थॉमस के अनुसार, "बदक़िस्मती से, जन्म से ही महिलाओं का शरीर, इस तरह डिज़ाइन होता है कि उनके लिए खड़े होकर पेशाब करना सही नहीं है। यहाँ तक कि कैप्टन मॉर्गन पोज़ (एक टाँग ऊपर करना) में भी महिलाओं का पेल्विक फ्लोर पूरी तरह रिलेक्स मोड में नहीं आ पाता। जिससे वे अपने ब्लैडर को पूरी तरह ख़ाली नहीं कर पाती हैं।"
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सैनेटरी पैड की जगह टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल
- ज़रूरत के वक़्त जुगाड़ तो करने ही पड़ते हैं। कभी-कभी जुगाड़ तब भी काम आ जाता है, जब किसी महिला के पीरियड्स अचानक आ जाएँ। ऐसे में टॉयलेट पेपर जुगाड़ करने के काम आता है।
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सैनेटरी पैड की जगह टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल
- टॉयलेट पेपर की परत लगाकर सैनेटरी पैड बनाना एमरजेंसी स्थितियों में काम आ सकता है। लेकिन, यह महिलाओं की हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है। ऑब्स्ट्रेटिशियन गाइनाकोलॉजिस्ट डॉ लॉरेन स्ट्रेचर बताती हैं, " यह महिलाओं की हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है। शुरुआत में तो यह सूखा और मज़बूत होता है, लेकिन भीगने पर यह फट कर टुकड़ों में बंट जाता है। जिससे यह जननाँग के भीतर जा सकते हैं। इन टुकड़ों के निकालने का कोई तरीक़ा नहीं है।
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सैनेटरी पैड की जगह टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल
- इसकी वजह से परेशानी हो सकती है और बैक्टीरिया भी पनप सकता है। इसलिए, इसका बस यही तरीका है कि हमेशा एक एक्स्ट्रा टैम्पॉन और पैड अपने बैग में रखें।
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छिप कर स्नैक्स खाना
- महिलाओं की एक आदत होती है, छिपकर स्नैक्स खाना। इसके लिए बाथरूम और बेडरूम उनकी पसंदीदा जगह हैं। महिलाओं की इस आदत की वजह यह है कि वे स्नैक्स खाते हुए पकड़े नहीं जाना चाहती हैं।
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छिप कर स्नैक्स खाना
- महिलाएँ छिप कर स्नैक्स इसलिए भी खाती हैं, क्योंकि वे अपने पार्टनर या बच्चों से स्नैक्स शेयर करना नहीं चाहती। यहाँ तक कि, एक पोल में दो तिहाई अमेरिकी माँओं ने कबूला कि वह ऐसा करती हैं।
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अपने पार्टनर के कपड़े स्मेल करना
- ऐसा शायद ही कोई होगा, जिसने अपने पार्टनर के कपड़ों को स्मेल नहीं किया होगा, है ना? कपल्स के बीच अट्रैक्शन को बढ़ाने में गंध का बहुत बड़ा रोल होता है। इसलिए, कभी-कभी महिलाएँ अपने पार्टनर के कपड़ों को स्मेल करना पसंद करती हैं।
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अपने पार्टनर के कपड़े सूँघना
- एक रिसर्च से पता चलता है कि ऐसा करने से महिलाओं में तनाव कम होता है। एक स्टडी के हिसाब से बात करें, तो जो महिलाएँ, अपने पार्टनर की स्मेल के संपर्क में आती हैं, उनके तनाव में कमी देखी जाती है।"
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नाक में उंगली डालना
- अधिकतर महिलाएँ लोगों के बीच नाक में उंगली डालने से बचती हैं। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि महिलाएँ ऐसा बिल्कुल नहीं करतीं।
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नाक में उंगलीडालना
- नाक में उंगली डालना आम तौर पर किशोरों की आदत होती है। लेकिन, बड़े भी ऐसा करते हैं। ये हेल्थ के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं है। नाक में उंगली डालने से आप स्टैफिलोकॉकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया के संपर्क में आ सकते हैं।
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पीरियड्स के दौरान ज़्यादा शौच जाना
- बाथरूम में अधिक समय बिताना। ये तो कुछ हद तक समझ में भी आता है, है ना? लेकिन इससे और भी बहुत कुछ जुड़ा है। दो केमिकल - प्रॉस्टोग्लैंडिन्स और प्रोजेस्टेरॉन।
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पीरियड्स के दौरान ज़्यादा शौच जाना
- पीबीएस 'ग्रॉस साइंस' की अन्ना रॉथ्सचाइल्ड के मुताबिक," प्रॉस्टोग्लैंडिन्स, यूट्रस (गर्भाशय) को सिकुड़ने का संकेत देता है, ताकि यूट्रिन लाइनिंग को बाहर निकाला जा सके। लेकिन ऐसी संभावना जताई जाती है कि कुछ प्रॉस्टोग्लैंडिन्स आँतों मे भी पहुँच जाता है। जिससे आँतें सिकुड़ जाती हैं।"
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पीरियड्स के दौरान अधिक बार शौच जाना
- इसके अलावा, पीरियड्स के दौरान प्रोजेस्टेरॉन का लेवल कम हो जाता है। जिससे हल्का कब्ज़ हो जाता है। लेकिन, इबुप्रोफेन और अन्य एंटी-इन्फ्लेमेटेरी दवाईयाँ (सूजन कम करने के लिए ली जाने वाली दवाईयाँ) लेने के चलते शरीर में प्रॉस्टाग्लैंडिन का रिसाव कम हो जाता है। जिससे, कुछ महिलाओं को पता भी नहीं चलता कि वह अधिक बार शौच जा रही हैं।
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अनचाहे बाल उखाड़ना
- महिलाओं की ब्यूटी किट में ट्वीज़र एक ज़रूरी चीज़ होती है। अधिकतर महिलाएँ, ठुड्डी के हिस्से के अनचाहे बाल हटाने के लिए ट्वीज़र का इस्तेमाल करती हैं।
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अनचाहे बाल उखाड़ना
- जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, उन्हें अक्सर बाल हटाने पड़ते हैं। एक स्टडी से पता चलता है कि," जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे शरीर के अन्य हिस्सों के बाल ग़ायब हो जाते हैं और चेहरे पर बाल बढ़ने लगते हैं।"
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नाख़ून चबाना
- नाख़ून चबाना अच्छी आदत नहीं है और यह गंदगी भरा भी है। लेकिन, फिर भी बहुत सी महिलाएँ नाख़ून चबाती हैं। नाख़ून चबाना, न केवल नाख़ूनों और जबड़ों के लिए नुकसानदेह है, बल्कि इससे आप बैक्टीरिया के संपर्क में भी आ सकते हैं।
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नाख़ून चबाना
- लोग अक्सर तनाव दूर करने या एक्साइटमेंट के समय या बोरियत दूर करने के लिए नाख़ून चबाते हैं। जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, यह आदत कम हो जाती है। 30 साल की उम्र के बाद नाख़ून चबाना असामान्य आदत है।
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इन कामों को चोरी-छिपे करती हैं महिलाएँ, लेकिन कबूल नहीं करती
- सभी महिलाएँ, अकेले में कुछ ऐसी चीज़ें करती हैं, जिनके बारे में किसी को पता नहीं होता। हालाँकि, इसमें कोई ग़लत बात नहीं है। इन कामों में से बहुत से काम ऐसे हैं, जिन्हें राज़ ही रखा जाता है, क्योंकि महिलाएँ सबके सामने इन्हें कबूल करते हुए शर्माती हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कुछ संस्कृतियों में इन कामों को करने वाली महिलाओं को 'महिला' नहीं माना जाता।
इस गैलरी में हम महिलाओं के व्यवहार को गहराई से जानेंगे और आपको कुछ ऐसे कामों के बारे में बताएंगे, जो अधिकतर महिलाएँ करती तो हैं, मगर कबूल नहीं करती। जानने के लिए क्लिक करें।
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फ़ार्ट करना
- हाँ, महिलाएँ भी फ़ार्ट करती हैं, लेकिन मानती नहीं। हो सकता है कि वे पुरुषों के बराबर न फ़ार्ट करती हों, लेकिन फ़ार्ट तो करती ही हैं।
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फ़ार्ट करना
- गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर पूर्णा कश्यप की मानें, तो एक महिला औसत रूप से दिन में 10-20 बार फ़ार्ट करती है। पेट में हवा भरना एक सामान्य बात है और यह स्वस्थ पाचन का संकेत है।
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साइबर स्टॉकिंग
- परेशान मत होइए, हम उस स्टॉकिंग की बात कर रहे हैं, जो 'लीगल' है। जैसे- अपने एक्स को स्टॉक करना या ऑफिस के सबसे क्यूट बंदे को देखना।
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साइबर स्टॉकिंग
- महिलाएँ खोजी प्रवृत्ति की होती हैं और उनकी जिज्ञासा को सोशल मीडिया शांत करता है। इसमें तस्वीरें देखते हुए घंटो बिताना, लाइक और कमेंट में समय लगाना भी शामिल हो सकता है।
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वे अपनी ब्रा को बार-बार नहीं धोतीं
- कुछ ब्रा इतनी नाज़ुक होती हैं कि उन्हें ध्यान से धोना पड़ता है। कुछ ब्रा को हाथों से धोना पड़ता है। हालाँकि, लंबे समय तक न धोने से ब्रा जल्दी ख़राब होती है। इसके अलावा, बिना धुली ब्रा पहनना 'औरतों की सेहत' के लिए भी अच्छा नहीं है।
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वे अपनी ब्रा को बार-बार नहीं धोतीं
- वॉशिंग मशीन ब्रा के लिए अच्छी नहीं होती है और फिर ड्रायर की तो बात ही मत कीजिए। शायद, इसलिए महिलाओं को ब्रा धोना पकाऊ काम लगता है। यही वजह है कि महिलाएँ उन्हें बहुत समय तक पहने रहती हैं।
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वे रोज़ाना बाल नहीं धोतीं
- अधिकतर पुरूष रोज़ाना शॉवर लेते समय अपने बाल धोते हैं, जबकि महिलाएँ ऐसा नहीं करतीं। यह गंदगी नहीं है, बल्कि ऐसा करना बालों की सेहत के लिए बहुत अच्छा है। क्योंकि रोज़ बाल धोने से बालों का क़ुदरती पोषण गायब हो जाता है।
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वे रोज़ाना बाल नहीं धोतीं
- वहीं, इसकी एक और वजह भी है। बालों को धोने में बहुत ज़्यादा समय लगता है। आप चाहें शैंपू से बाल धोएँ या फिर कंडीशनर, मास्क या ऑयल लगाएँ। लेकिन, रोज़ाना?
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शीशे में ख़ुद को देखकर मोटा महसूस करना
- हम सभी जानते हैं कि महिलाओं को अपनी 'बॉडी इमेज' के लिए कितना कुछ करना पड़ता है। महिलाओं पर 'राइट साइज़' में दिखने का भी बहुत दबाव होता है। एक स्टडी के अनुसार, कथित तौर पर शरीर के हिसाब से सही वज़न वाली महिलाओं में भी बॉडी डिस्मॉर्फ़िया (मोटा महसूस करना) पाया जाता है।
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शीशे में ख़ुद को देखकर मोटा महसूस करना
- इस स्टडी में, शरीर के हिसाब से सही वज़न वाली महिलाओं को चुना गया था। चुनी गई 12 महिलाओं को शीशे में देखने और फिर ख़ुद के लिए एक शब्द चुनने के लिए कहा गया था। 34% महिलाओं ने कहा कि वे 'मोटी' हैं।
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शॉवर में पेशाब करना
- सच-सच कहें, तो महिला और पुरूष दोनों ऐसा करते हैं। हालाँकि खड़े होकर पेशाब करने से महिलाओं में पेल्विक फ्लोर फंक्शन गड़बड़ा सकता है।
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शॉवर में पेशाब करना
- डॉ. एलीसिया जेफ्री थॉमस के अनुसार, "बदक़िस्मती से, जन्म से ही महिलाओं का शरीर, इस तरह डिज़ाइन होता है कि उनके लिए खड़े होकर पेशाब करना सही नहीं है। यहाँ तक कि कैप्टन मॉर्गन पोज़ (एक टाँग ऊपर करना) में भी महिलाओं का पेल्विक फ्लोर पूरी तरह रिलेक्स मोड में नहीं आ पाता। जिससे वे अपने ब्लैडर को पूरी तरह ख़ाली नहीं कर पाती हैं।"
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सैनेटरी पैड की जगह टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल
- ज़रूरत के वक़्त जुगाड़ तो करने ही पड़ते हैं। कभी-कभी जुगाड़ तब भी काम आ जाता है, जब किसी महिला के पीरियड्स अचानक आ जाएँ। ऐसे में टॉयलेट पेपर जुगाड़ करने के काम आता है।
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सैनेटरी पैड की जगह टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल
- टॉयलेट पेपर की परत लगाकर सैनेटरी पैड बनाना एमरजेंसी स्थितियों में काम आ सकता है। लेकिन, यह महिलाओं की हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है। ऑब्स्ट्रेटिशियन गाइनाकोलॉजिस्ट डॉ लॉरेन स्ट्रेचर बताती हैं, " यह महिलाओं की हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है। शुरुआत में तो यह सूखा और मज़बूत होता है, लेकिन भीगने पर यह फट कर टुकड़ों में बंट जाता है। जिससे यह जननाँग के भीतर जा सकते हैं। इन टुकड़ों के निकालने का कोई तरीक़ा नहीं है।
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सैनेटरी पैड की जगह टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल
- इसकी वजह से परेशानी हो सकती है और बैक्टीरिया भी पनप सकता है। इसलिए, इसका बस यही तरीका है कि हमेशा एक एक्स्ट्रा टैम्पॉन और पैड अपने बैग में रखें।
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छिप कर स्नैक्स खाना
- महिलाओं की एक आदत होती है, छिपकर स्नैक्स खाना। इसके लिए बाथरूम और बेडरूम उनकी पसंदीदा जगह हैं। महिलाओं की इस आदत की वजह यह है कि वे स्नैक्स खाते हुए पकड़े नहीं जाना चाहती हैं।
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- महिलाएँ छिप कर स्नैक्स इसलिए भी खाती हैं, क्योंकि वे अपने पार्टनर या बच्चों से स्नैक्स शेयर करना नहीं चाहती। यहाँ तक कि, एक पोल में दो तिहाई अमेरिकी माँओं ने कबूला कि वह ऐसा करती हैं।
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अपने पार्टनर के कपड़े स्मेल करना
- ऐसा शायद ही कोई होगा, जिसने अपने पार्टनर के कपड़ों को स्मेल नहीं किया होगा, है ना? कपल्स के बीच अट्रैक्शन को बढ़ाने में गंध का बहुत बड़ा रोल होता है। इसलिए, कभी-कभी महिलाएँ अपने पार्टनर के कपड़ों को स्मेल करना पसंद करती हैं।
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अपने पार्टनर के कपड़े सूँघना
- एक रिसर्च से पता चलता है कि ऐसा करने से महिलाओं में तनाव कम होता है। एक स्टडी के हिसाब से बात करें, तो जो महिलाएँ, अपने पार्टनर की स्मेल के संपर्क में आती हैं, उनके तनाव में कमी देखी जाती है।"
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नाक में उंगली डालना
- अधिकतर महिलाएँ लोगों के बीच नाक में उंगली डालने से बचती हैं। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि महिलाएँ ऐसा बिल्कुल नहीं करतीं।
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नाक में उंगलीडालना
- नाक में उंगली डालना आम तौर पर किशोरों की आदत होती है। लेकिन, बड़े भी ऐसा करते हैं। ये हेल्थ के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं है। नाक में उंगली डालने से आप स्टैफिलोकॉकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया के संपर्क में आ सकते हैं।
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पीरियड्स के दौरान ज़्यादा शौच जाना
- बाथरूम में अधिक समय बिताना। ये तो कुछ हद तक समझ में भी आता है, है ना? लेकिन इससे और भी बहुत कुछ जुड़ा है। दो केमिकल - प्रॉस्टोग्लैंडिन्स और प्रोजेस्टेरॉन।
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पीरियड्स के दौरान ज़्यादा शौच जाना
- पीबीएस 'ग्रॉस साइंस' की अन्ना रॉथ्सचाइल्ड के मुताबिक," प्रॉस्टोग्लैंडिन्स, यूट्रस (गर्भाशय) को सिकुड़ने का संकेत देता है, ताकि यूट्रिन लाइनिंग को बाहर निकाला जा सके। लेकिन ऐसी संभावना जताई जाती है कि कुछ प्रॉस्टोग्लैंडिन्स आँतों मे भी पहुँच जाता है। जिससे आँतें सिकुड़ जाती हैं।"
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- इसके अलावा, पीरियड्स के दौरान प्रोजेस्टेरॉन का लेवल कम हो जाता है। जिससे हल्का कब्ज़ हो जाता है। लेकिन, इबुप्रोफेन और अन्य एंटी-इन्फ्लेमेटेरी दवाईयाँ (सूजन कम करने के लिए ली जाने वाली दवाईयाँ) लेने के चलते शरीर में प्रॉस्टाग्लैंडिन का रिसाव कम हो जाता है। जिससे, कुछ महिलाओं को पता भी नहीं चलता कि वह अधिक बार शौच जा रही हैं।
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अनचाहे बाल उखाड़ना
- महिलाओं की ब्यूटी किट में ट्वीज़र एक ज़रूरी चीज़ होती है। अधिकतर महिलाएँ, ठुड्डी के हिस्से के अनचाहे बाल हटाने के लिए ट्वीज़र का इस्तेमाल करती हैं।
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अनचाहे बाल उखाड़ना
- जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, उन्हें अक्सर बाल हटाने पड़ते हैं। एक स्टडी से पता चलता है कि," जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे शरीर के अन्य हिस्सों के बाल ग़ायब हो जाते हैं और चेहरे पर बाल बढ़ने लगते हैं।"
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नाख़ून चबाना
- नाख़ून चबाना अच्छी आदत नहीं है और यह गंदगी भरा भी है। लेकिन, फिर भी बहुत सी महिलाएँ नाख़ून चबाती हैं। नाख़ून चबाना, न केवल नाख़ूनों और जबड़ों के लिए नुकसानदेह है, बल्कि इससे आप बैक्टीरिया के संपर्क में भी आ सकते हैं।
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सभी महिलाएँ, अकेले में कुछ ऐसी चीज़ें करती हैं, जिनके बारे में किसी को पता नहीं होता। हालाँकि, इसमें कोई ग़लत बात नहीं है। इन कामों में से बहुत से काम ऐसे हैं, जिन्हें राज़ ही रखा जाता है, क्योंकि महिलाएँ सबके सामने इन्हें कबूल करते हुए शर्माती हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कुछ संस्कृतियों में इन कामों को करने वाली महिलाओं को 'महिला' नहीं माना जाता।
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