वो किताबें जिन्हें पढ़ने का लोग झूठा दिखावा करते हैं

इस तरह का झूठ बोलने वाले आप अकेले नहीं हैं

Stars Insider

24/08/23 | StarsInsider

LIFESTYLE Books

जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है, वैसे वैसे आप लोगों की नज़र में बुद्धिमान होते जाते हैं। लेकिन अगर वे कुछ बेहतरीन और शानदार किताबों पे आपकी राय पूछ लें, तो आपकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है। आपको समझ आ ही गया होगा कि हम किन किताबों कि तरफ इशारा कर रहे हैं। सालों पहले लिखी गई वो किताबें, जो हमारे कल्चर के कैनन बन चुके हैं। जो स्टूडेंट्स की रीडिंग लिस्ट में हमेशा रहती हैं।

लेकिन अगर आप किताबों पर बातचीत से घबरा जाते हैं और लोगों के बीच उन तमाम किताबों को पढ़ने का झूठा दावा कर देते हैं, जिनसे आपका हाई-स्कूल के बाद जैसे-तैसे पीछा छूटा है, तो खुद को इतना जज करने कि ज़रूरत नहीं हैं। आपको बता दें, ऐसा करने वाले आप अकेले नहीं हैं, बहुत से लोग उन किताबों को पढ़ने के बारे में झूठ बोलते हैं।

जिन किताबों को पढ़ने के बारे में लोग आमतौर पर झूठ बोलते हैं, वे साहित्य कि दुनिया की क्लासिक्स मानी जाती हैं, लिट्रेचर की बुनियाद मानी जाती है। दुनिया को बदल कर रख देने वाली ये किताबें किसी भी सामाजिक विचारधारा के पिलर होते हैं। लेकिन इन क्लासिक्स को पढ़ने का या इसी दशक में लिखी गईं महत्त्वपूर्ण चीज़ों को पढ़ने का वक़्त किसके पास है?

इन किताबों को पढ़ने के बारे में आप झूठ बोल जाते हैं क्योंकि आपने इन पर बनी फिल्में देख रखी होती हैं, लेकिन आप भी जानते हैं ये दोनों एक चीज़ नहीं हैं। हालाँकि, कई मामलों में फिल्म वास्तव में किताब से बेहतर साबित हुई है।

ये भी एक सच है कि कभी-कभी आप आसान भाषा में लिखी हुई आसान कहानियाँ पढ़ना चाहते हैं। आप ख़ासकर उन लेखकों की रचनाएँ पढ़ना चाहते हैं, जिनके अनुभव आप से मिलते-जुलते हों। जिनकी लिखी हुई चीज़ें रिलेटेबल हों, या फिर ऐसा भी हो सकता है कि ये किताबें पढ़नी आपके बस की ही न हों। ये मानना मुश्किल है, ख़ास कर तब जब आप ने किसी किताब को पढ़ना शुरू कर दिया हो और काफ़ी पन्ने पढ़ डालने के बाद ये एहसास हो कि ये किताब आपके बस की बात नहीं है।

ऐसे बहुत कम लोग हैं, जिन्होंने सचमुच सभी क्लासिक्स पढ़े हैं, और इतने कैरेक्टर्स और प्लॉट लाइंस के बीच उन्हें आपके झूठ पकड़ने में मुश्किल भी होती होगी, क्योंकि बहुत सारे लोग झूठे हैं।

‘रैंकर’ द्वारा 83,000 से अधिक पार्टिसिपेंट्स के साथ किए गए एक पोल में लोगों ने खुल कर (ज़ाहिर है, बिना अपनी पहचान बताए) उन किताबों के बारे में बताया, जिनको पढ़ने के बारे में उन्होंने झूठ बोला है।

यह जानने के लिए कि आपने इनमें से कितनी किताबें पढ़ रखी हैं, गैलरी पर क्लिक करें।

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