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मौत की सज़ा के बारे में अजीब-ओ-ग़रीब बातें
- मौत की सज़ा एक ऐसा विषय है, जिसके बारे में हमारे समाज में अक्सर बातें होती रहती है। इसे मृत्युदंड के नाम से भी जाना जाता है। मौत की सज़ा अक्सर सबसे गंभीर अपराधों, जैसे -क़त्ल आदि के मुजरिमों को सज़ा देने के लिए दी जाती है। लोगों द्वारा जानबूझकर या अनजाने में किए गए अपराधों के बदले उन्हें दी जाने वाली उचित सज़ा क्या है, इसको लेकर दशकों से बहस चली आ रही है और इस पर सभी की अलग-अलग राय है। एक ओर जहाँ 100 से अधिक देशों ने मौत की सज़ा के प्रावधान को ख़त्म कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ़ बहुत से देशों में यह अभी भी चल रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मौत की सज़ा को क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक सज़ा माना है। इस पर आपकी क्या राय है? इस गैलरी पर क्लिक करें और जानें मौत की सज़ा से जुड़ी अजीब-ओ-ग़रीब बातों के बारे में।
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वैश्विक रूप से मौत की सज़ा के आँकड़ों में बढ़ोत्तरी
- 2022 में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पता लगाया कि 20 देशों में कम से कम 883 लोगों को मौत की सज़ा दी गई है। यह आँकड़ा 2021 में 18 देशों में दी गई 579 मौत की सज़ाओं के आँकड़े से 53% अधिक था।
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सबसे अधिक मौत की सज़ाएँ कहाँ?
- डेथ पेनल्टी इन्फ़ॉर्मेशन सेंटर द्वारा सावर्जनिक किए गए आँकड़ों से पता चलता है कि दुनिया में सबसे अधिक मौत की सज़ाएँ चीन में दी जाती है।
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गंभीर आँकड़े
- चीन में, मौत की सज़ा के आँकड़ों को सरकार द्वारा छिपा कर रखा गया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुमान के मुताबिक, 2002 में चीन में 1,000 लोगों को मौत की सज़ा दी गई।
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रहस्यमयी मौतें
- उत्तर कोरिया, वियतनाम, सीरिया और अफ़ग़ानिस्तान भी मौत की सज़ा के आँकड़ों को छिपाते हैं। जिनकी सही जानकारी पाना बेहद मुश्किल है।
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ईरान
- ईरान में 2022 में 576 लोगों को फाँसी पर लटकाया गया था। इस आँकड़े के हिसाब से ईरान का नंबर दूसरे पायदान पर आता है।
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सऊदी अरब
- एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार 2022 में सऊदी अरब में 196 लोगों को मौत की सज़ा दी गई। इस हिसाब से सऊदी, ग्लोबल डेथ पेनल्टी लीग में तीसरे पायदान पर आता है।
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मिस्र
- 2022 में मिस्र में 24 लोगों को मौत की सज़ा दी गई। यह मौत की सज़ा का चौथा सबसे बड़ा आँकड़ा है।
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यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका
- इस लिस्ट में अमेरिका पाँचवें पायदान पर है। अमेरिका में 2022 में 18 लोगों को मौत की सज़ा दी गई।
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मौत की सज़ा के प्रसिद्ध मामले
- 1944 में, जॉर्ज स्टिन्नी जूनियर नामक 14 साल के किशोर को दो युवा स्त्रियों की हत्या के आरोप में, इलेक्ट्रिक चेयर के ज़रिए मौत के घाट उतारने की सज़ा सुनाई गई थी। 2014 में स्टिन्नी को सुनाई गई सज़ा को अमान्य क़रार दे दिया गया और उसके ख़िलाफ़ की गई न्यायिक कार्यवाही को अनुचित ठहरा दिया गया। स्टिन्नी को अमेरिका के इतिहास में सबसे कम उम्र में मौत की सज़ा पाने वाला पहला व्यक्ति माना जाता है।
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टिमोथी जॉन इवान्स (1924–1950)
- टिमोथी जॉन इवान्स (तस्वीर में) को ग़लत तरीक़े से दोषी ठहराया गया था और एक हत्या के आरोप में फांसी दी गई थी। यह हत्या वास्तव में सीरियल किलर जॉन क्रिस्टी ने की थी। 1966 में उनकी मौत के बाद उनकी फांसी को ग़लत क़रार दिया गया। इस मामले ने अमेरिका में मौत की सज़ा को ख़त्म कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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रूथ एलिस (1926–1955)
- क़त्ल की दोषी करार दी गई रूथ एलिस, अमेरिका में मौत की सज़ा पाने वाली आख़िरी महिला थी। अपने प्रेमी डेविड ब्लेकली की गोली मारकर जान लेने के जुर्म में रूथ को 13 जुलाई, 1955 को फांसी दे दी गई।
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यूजेन वीडमैन (1908–1939)
- जर्मन सीरियल किलर यूज़ेन वीडमैन फ़्रांस में सावर्जनिक रूप से मौत की सज़ा पाने वाला आख़िरी व्यक्ति था। वर्सेल्स की सेट पियरे जेल के बाहर फ़ोटोग्राफ़र और पत्रकारों की भीड़ के सामने उसका सर गिलोटीन से काट दिया गया था।
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कार्लोस डिल्यूना (1962–1989)
- यह बात अभी भी बहस का हिस्सा है कि क्या कार्लोस को ग़लत तरीक़े से दोषी क़रार दिया गया था? 7 सितंबर, 1989 को उसे टेक्सास में फांसी दे दी गई थी। 2021 में आई 'द फ़ैंटम' नामक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म से पता चला कि उन्हें ग़लती से मौत की सज़ा दे दी गई। तस्वीर में हंट्सविले जेल के लीथल इंजेक्शन रूम को दिखाया गया है, जहाँ पर डिल्यूना की मौत हुई थी।
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मौत की सज़ा से जुड़े आँकड़े
- स्टैटिस्टा द्वारा सावर्जनिक किए गए आँकड़ों के अनुसार, अमेरिका में टेक्सास सबसे ज़्यादा मौत की सज़ाएँ देने वाला राज्य है। 1976 में मौत की सज़ा की शुरुआत से लेकर 2002 तक, टेक्सास में 578 लोगों को मौत की सज़ा दी गई है। तस्वीर में टेक्सास की हंट्सविले जेल की मौत की सज़ा पाने वाले लोगों की बैरक दिखाई गई हैं।
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मौत की सज़ा को ख़त्म करने के पक्ष में
- एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, 2021 के अंत तक 108 देशों ने पूरी तरह मौत की सज़ा के प्रावधान को ख़त्म कर दिया है।
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नास्तिकों को चुकानी पड़ती है बड़ी क़ीमत
- 2016 में ब्रिटेन के इंडिपेंडेट अख़बार ने ऐसे 13 देशों के बारे में बताते हुए ध्यान खींचा, जहाँ नास्तिक होने पर मौत की सज़ा दिए जाने का प्रावधान है। नास्तिकों और मानवतावादियों को अपराधी मानने वाले देशों में ईरान, मलेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, क़तर और सऊदी अरब शामिल हैं।
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लाशों का भयानक इस्तेमाल
- द गार्ज़ियन अख़बार द्वारा किए गए एक सनसनीख़ेज़ ख़ुलासे में पता चला कि एक चीनी कॉस्मेटिक्स कंपनी ने यूरोप में बिक्री हेतु ब्यूटी प्रॉडक्ट्स बनाने के लिए, मौत की सज़ा पाने वाले लोगों की त्वचा का इस्तेमाल किया।
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गैरी गिलमोर (1940–1977)
- 1977 में गैरी गिलमोर ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिसको सुनाई गई मौत की सज़ा ने, एक दशक से चली आ रही मौत की सज़ा पर रोक को ख़त्म कर दिया। उसने दो लोगों की हत्या के जुर्म में ख़ुद को मौत की सज़ा दी जाने की माँग की थी। उसे ऊटा स्टेट प्रिज़न में फायरिंग दस्ते ने गोली मारकर मौत की सज़ा दी। गिलमोर की मौत ने लगभग 10 साल से चली आ रही मौत की सज़ा पर रोक को ख़त्म कर दिया। गिलमोर का मामला उन दिनों सांस्कृतिक विद्रोह का मामला बन गया था। तस्वीर में राइफ़लमैनों द्वारा गोली मारे जाने से पहले अख़बार के संवाददाताओं से बात करते हुए गैरी गिलमोर दिखाई दे रहे हैं।
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मानव अधिकारों का उल्लंघन
- हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय कानून के मुताबिक मौत की सज़ा पर रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन फिर भी अधिकतर देश मौत की सज़ा को मानवाधिकारों का उल्लघंन मानते हैं। जिसके चलते वे ऐसे क़ैदियों को उनके देश प्रत्यर्पित करने से इंकार कर देते हैं, जिन्हें उनके देश में मौत की सज़ा सुनाई गई है।
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ड्रग संबधित अपराधियों को दी जाती है मौत की सज़ा
- हार्म रिडक्शन इंटरनेशनल (HRI) के मुताबिक केवल 6 देश ऐसे हैं, जहाँ ड्रग संबंधित मामलों के आरोपियों को मौत की सज़ा दी जाती है। इन देशों में चीन, ईरान, सऊदी अरब, वियतनाम, मलेशिया और सिंगापुर शामिल हैं।
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जब बिल्ली को मारने पर मिलती थी मौत की सज़ा
- यह आपको सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है। लेकिन प्राचीन मिस्र में बिल्लियों को मारने वाले लोगों को मौत की सज़ा दी जाती थी। फिर चाहे बिल्ली की मौत अनजाने में ही हो गई हो।
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मौत की सज़ा को ख़त्म करने वाला पहला देश
- 1863 में, वेनेजुएला मौत की सज़ा को ख़त्म करने वाला पहला देश बना। यह तथ्य गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल है।
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मौत से कुछ घंटे पहले मिलती है जानकारी
- जापान, मौत की सज़ा को लागू रखने वाले कुछ देशों में से एक है। जापानी कानून के मुताबिक मौत की सज़ा, फैसला सुनाए जाने के 6 महीने के भीतर दी जानी चाहिए। लेकिन, ऐसा कभी नहीं होता। इसके अलावा, जस्टिस मिनिस्टर (न्याय मंत्री) द्वारा तय की गई मौत की सज़ा की तारीख़ भी गुप्त रखी जाती है। मौत की सज़ा पाने वाले लोगों को कुछ घंटे पहले ही इसके बारे में पता चलता है। तस्वीर में जापान की राजधानी टोक्यो के टोक्यो डिटेंशन हाउस का मौत की सज़ा का कमरा दिखाया गया है।
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गुमनाम रहते हैं जल्लाद
- डिपार्टमेंट ऑफ करेक्शंस, फ्लॉरिडा के मुताबिक उनके यहाँ का जल्लाद एक आम नागरिक होता है, जिसे हर मौत की सज़ा के लिए 150 अमेरिकी डॉलर दिए जाते हैं। राज्य का कानून उनकी पहचान गुप्त रखने की अनुमति देता है। ऐतिहासिक रूप से जल्लाद के काम को कंलकित समझा जाता है, जिसके चलते इस काम को करने वाले लोग अपनी पहचान को पर्दे में रखते हैं।
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अल्बर्ट पियरेपॉइन्ट (1905–1992)
- जल्लाद के रूप में सबसे मशहूर आदमी का नाम अल्बर्ट पियरेपॉइन्ट है। अपने 25 साल की नौकरी के दौरान इस अंग्रेज़ जल्लाद ने लगभग 600 लोगों को मौत के घाट उतारा। इनमें से कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्हें बाद में दोषी नहीं पाया गया। तस्वीर में, 1973 के दौरान उन्हें अपना संस्मरण लिखते हुए दिखाया गया है।
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मौत की सज़ा का इंतज़ार
- मौजूदा समय में, अमेरिका की जेलों में लगभग 2,500 व्यक्ति मौत की सज़ा पाने का इंतज़ार कर रहे हैं। इनमें से हर साल कुछ ही लोगों को मौत की सज़ा दी जाती है, क्योंकि अपील की प्रक्रिया में वर्षों बल्कि दशकों का समय लग जाता है।
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मौत की सज़ा वाले राज्य
- 2023 में, अमेरिका के 24 राज्यों में मौत की सज़ा का प्रावधान है। वाशिंगटन डीसी समेत 23 राज्य अपने यहाँ मौत की सज़ा को ख़्तम कर चुके हैं। कैलीफॉर्निया, ऑरेगॉन और पेन्सिलवेनिया में फिलहाल मौत की सज़ा पर रोक लगी हुई है।
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निर्दोषों को मौत की सज़ा
- मौत की सज़ा में किसी निर्दोष व्यक्ति को सज़ा दिए जाने का ख़तरा रहता है। इक्वल जस्टिस इनिशिएटिव के मुताबिक 1973 से अब तक अमेरिका में 192 लोगों को निर्दोष पाया गया है और उनकी मौत की सज़ा निरस्त कर दी गई है। इसी अवधि के दौरान 1,573 क़ैदियों को मौत की सज़ा भी दी गई है। द इनोसेंस प्रॉजेक्ट के 2014 में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक जिन लोगों को मौत की सज़ा दी गई है, उनमें 4 फ़ीसद लोग निर्दोष थे।
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आख़िरी खाना
- कॉर्नेल यूनिवर्सिटी द्वारा की गई रिसर्च के मुताबिक मौत की सज़ा पाने से पहले क़ैदियों द्वारा हल्के-फ़ुल्के खानों, जैसे- हैमबर्गर, फ़्रेंच फ़्राइज़, स्टीक, आइस क्रीम और पाई, आदि की माँग की जाती है।
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जानलेवा ज़हर
- अमेरिका में जान लेने के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह की ज़हरीली दवाएँ इस्तेमाल की जाती है। अधिकाँश राज्यों में 'थ्री-ड्रग' का तरीक़ा अपनाया जाता है, जिनमें पहली दवा सोडियम थायोपेंटल का इस्तेमाल क़ैदी को बेहोश करने के लिए किया जाता है। दूसरी दवा पैनक्यूरोनियम ब्रोमाइड माँसपेशियों को लाचार बनाती है और तीसरी दवा पौटेशियम क्लोराइड दिल की धड़कनों को रोक देती है, जिससे मौत हो जाती है।
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मौत की सज़ा के बारे में अजीब-ओ-ग़रीब बातें
- मौत की सज़ा एक ऐसा विषय है, जिसके बारे में हमारे समाज में अक्सर बातें होती रहती है। इसे मृत्युदंड के नाम से भी जाना जाता है। मौत की सज़ा अक्सर सबसे गंभीर अपराधों, जैसे -क़त्ल आदि के मुजरिमों को सज़ा देने के लिए दी जाती है। लोगों द्वारा जानबूझकर या अनजाने में किए गए अपराधों के बदले उन्हें दी जाने वाली उचित सज़ा क्या है, इसको लेकर दशकों से बहस चली आ रही है और इस पर सभी की अलग-अलग राय है। एक ओर जहाँ 100 से अधिक देशों ने मौत की सज़ा के प्रावधान को ख़त्म कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ़ बहुत से देशों में यह अभी भी चल रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मौत की सज़ा को क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक सज़ा माना है। इस पर आपकी क्या राय है? इस गैलरी पर क्लिक करें और जानें मौत की सज़ा से जुड़ी अजीब-ओ-ग़रीब बातों के बारे में।
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वैश्विक रूप से मौत की सज़ा के आँकड़ों में बढ़ोत्तरी
- 2022 में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पता लगाया कि 20 देशों में कम से कम 883 लोगों को मौत की सज़ा दी गई है। यह आँकड़ा 2021 में 18 देशों में दी गई 579 मौत की सज़ाओं के आँकड़े से 53% अधिक था।
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सबसे अधिक मौत की सज़ाएँ कहाँ?
- डेथ पेनल्टी इन्फ़ॉर्मेशन सेंटर द्वारा सावर्जनिक किए गए आँकड़ों से पता चलता है कि दुनिया में सबसे अधिक मौत की सज़ाएँ चीन में दी जाती है।
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गंभीर आँकड़े
- चीन में, मौत की सज़ा के आँकड़ों को सरकार द्वारा छिपा कर रखा गया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुमान के मुताबिक, 2002 में चीन में 1,000 लोगों को मौत की सज़ा दी गई।
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रहस्यमयी मौतें
- उत्तर कोरिया, वियतनाम, सीरिया और अफ़ग़ानिस्तान भी मौत की सज़ा के आँकड़ों को छिपाते हैं। जिनकी सही जानकारी पाना बेहद मुश्किल है।
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ईरान
- ईरान में 2022 में 576 लोगों को फाँसी पर लटकाया गया था। इस आँकड़े के हिसाब से ईरान का नंबर दूसरे पायदान पर आता है।
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सऊदी अरब
- एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार 2022 में सऊदी अरब में 196 लोगों को मौत की सज़ा दी गई। इस हिसाब से सऊदी, ग्लोबल डेथ पेनल्टी लीग में तीसरे पायदान पर आता है।
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मिस्र
- 2022 में मिस्र में 24 लोगों को मौत की सज़ा दी गई। यह मौत की सज़ा का चौथा सबसे बड़ा आँकड़ा है।
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यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका
- इस लिस्ट में अमेरिका पाँचवें पायदान पर है। अमेरिका में 2022 में 18 लोगों को मौत की सज़ा दी गई।
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मौत की सज़ा के प्रसिद्ध मामले
- 1944 में, जॉर्ज स्टिन्नी जूनियर नामक 14 साल के किशोर को दो युवा स्त्रियों की हत्या के आरोप में, इलेक्ट्रिक चेयर के ज़रिए मौत के घाट उतारने की सज़ा सुनाई गई थी। 2014 में स्टिन्नी को सुनाई गई सज़ा को अमान्य क़रार दे दिया गया और उसके ख़िलाफ़ की गई न्यायिक कार्यवाही को अनुचित ठहरा दिया गया। स्टिन्नी को अमेरिका के इतिहास में सबसे कम उम्र में मौत की सज़ा पाने वाला पहला व्यक्ति माना जाता है।
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टिमोथी जॉन इवान्स (1924–1950)
- टिमोथी जॉन इवान्स (तस्वीर में) को ग़लत तरीक़े से दोषी ठहराया गया था और एक हत्या के आरोप में फांसी दी गई थी। यह हत्या वास्तव में सीरियल किलर जॉन क्रिस्टी ने की थी। 1966 में उनकी मौत के बाद उनकी फांसी को ग़लत क़रार दिया गया। इस मामले ने अमेरिका में मौत की सज़ा को ख़त्म कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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रूथ एलिस (1926–1955)
- क़त्ल की दोषी करार दी गई रूथ एलिस, अमेरिका में मौत की सज़ा पाने वाली आख़िरी महिला थी। अपने प्रेमी डेविड ब्लेकली की गोली मारकर जान लेने के जुर्म में रूथ को 13 जुलाई, 1955 को फांसी दे दी गई।
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यूजेन वीडमैन (1908–1939)
- जर्मन सीरियल किलर यूज़ेन वीडमैन फ़्रांस में सावर्जनिक रूप से मौत की सज़ा पाने वाला आख़िरी व्यक्ति था। वर्सेल्स की सेट पियरे जेल के बाहर फ़ोटोग्राफ़र और पत्रकारों की भीड़ के सामने उसका सर गिलोटीन से काट दिया गया था।
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कार्लोस डिल्यूना (1962–1989)
- यह बात अभी भी बहस का हिस्सा है कि क्या कार्लोस को ग़लत तरीक़े से दोषी क़रार दिया गया था? 7 सितंबर, 1989 को उसे टेक्सास में फांसी दे दी गई थी। 2021 में आई 'द फ़ैंटम' नामक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म से पता चला कि उन्हें ग़लती से मौत की सज़ा दे दी गई। तस्वीर में हंट्सविले जेल के लीथल इंजेक्शन रूम को दिखाया गया है, जहाँ पर डिल्यूना की मौत हुई थी।
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मौत की सज़ा से जुड़े आँकड़े
- स्टैटिस्टा द्वारा सावर्जनिक किए गए आँकड़ों के अनुसार, अमेरिका में टेक्सास सबसे ज़्यादा मौत की सज़ाएँ देने वाला राज्य है। 1976 में मौत की सज़ा की शुरुआत से लेकर 2002 तक, टेक्सास में 578 लोगों को मौत की सज़ा दी गई है। तस्वीर में टेक्सास की हंट्सविले जेल की मौत की सज़ा पाने वाले लोगों की बैरक दिखाई गई हैं।
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मौत की सज़ा को ख़त्म करने के पक्ष में
- एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, 2021 के अंत तक 108 देशों ने पूरी तरह मौत की सज़ा के प्रावधान को ख़त्म कर दिया है।
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नास्तिकों को चुकानी पड़ती है बड़ी क़ीमत
- 2016 में ब्रिटेन के इंडिपेंडेट अख़बार ने ऐसे 13 देशों के बारे में बताते हुए ध्यान खींचा, जहाँ नास्तिक होने पर मौत की सज़ा दिए जाने का प्रावधान है। नास्तिकों और मानवतावादियों को अपराधी मानने वाले देशों में ईरान, मलेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, क़तर और सऊदी अरब शामिल हैं।
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लाशों का भयानक इस्तेमाल
- द गार्ज़ियन अख़बार द्वारा किए गए एक सनसनीख़ेज़ ख़ुलासे में पता चला कि एक चीनी कॉस्मेटिक्स कंपनी ने यूरोप में बिक्री हेतु ब्यूटी प्रॉडक्ट्स बनाने के लिए, मौत की सज़ा पाने वाले लोगों की त्वचा का इस्तेमाल किया।
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गैरी गिलमोर (1940–1977)
- 1977 में गैरी गिलमोर ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिसको सुनाई गई मौत की सज़ा ने, एक दशक से चली आ रही मौत की सज़ा पर रोक को ख़त्म कर दिया। उसने दो लोगों की हत्या के जुर्म में ख़ुद को मौत की सज़ा दी जाने की माँग की थी। उसे ऊटा स्टेट प्रिज़न में फायरिंग दस्ते ने गोली मारकर मौत की सज़ा दी। गिलमोर की मौत ने लगभग 10 साल से चली आ रही मौत की सज़ा पर रोक को ख़त्म कर दिया। गिलमोर का मामला उन दिनों सांस्कृतिक विद्रोह का मामला बन गया था। तस्वीर में राइफ़लमैनों द्वारा गोली मारे जाने से पहले अख़बार के संवाददाताओं से बात करते हुए गैरी गिलमोर दिखाई दे रहे हैं।
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मानव अधिकारों का उल्लंघन
- हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय कानून के मुताबिक मौत की सज़ा पर रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन फिर भी अधिकतर देश मौत की सज़ा को मानवाधिकारों का उल्लघंन मानते हैं। जिसके चलते वे ऐसे क़ैदियों को उनके देश प्रत्यर्पित करने से इंकार कर देते हैं, जिन्हें उनके देश में मौत की सज़ा सुनाई गई है।
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ड्रग संबधित अपराधियों को दी जाती है मौत की सज़ा
- हार्म रिडक्शन इंटरनेशनल (HRI) के मुताबिक केवल 6 देश ऐसे हैं, जहाँ ड्रग संबंधित मामलों के आरोपियों को मौत की सज़ा दी जाती है। इन देशों में चीन, ईरान, सऊदी अरब, वियतनाम, मलेशिया और सिंगापुर शामिल हैं।
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जब बिल्ली को मारने पर मिलती थी मौत की सज़ा
- यह आपको सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है। लेकिन प्राचीन मिस्र में बिल्लियों को मारने वाले लोगों को मौत की सज़ा दी जाती थी। फिर चाहे बिल्ली की मौत अनजाने में ही हो गई हो।
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मौत की सज़ा को ख़त्म करने वाला पहला देश
- 1863 में, वेनेजुएला मौत की सज़ा को ख़त्म करने वाला पहला देश बना। यह तथ्य गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल है।
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मौत से कुछ घंटे पहले मिलती है जानकारी
- जापान, मौत की सज़ा को लागू रखने वाले कुछ देशों में से एक है। जापानी कानून के मुताबिक मौत की सज़ा, फैसला सुनाए जाने के 6 महीने के भीतर दी जानी चाहिए। लेकिन, ऐसा कभी नहीं होता। इसके अलावा, जस्टिस मिनिस्टर (न्याय मंत्री) द्वारा तय की गई मौत की सज़ा की तारीख़ भी गुप्त रखी जाती है। मौत की सज़ा पाने वाले लोगों को कुछ घंटे पहले ही इसके बारे में पता चलता है। तस्वीर में जापान की राजधानी टोक्यो के टोक्यो डिटेंशन हाउस का मौत की सज़ा का कमरा दिखाया गया है।
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गुमनाम रहते हैं जल्लाद
- डिपार्टमेंट ऑफ करेक्शंस, फ्लॉरिडा के मुताबिक उनके यहाँ का जल्लाद एक आम नागरिक होता है, जिसे हर मौत की सज़ा के लिए 150 अमेरिकी डॉलर दिए जाते हैं। राज्य का कानून उनकी पहचान गुप्त रखने की अनुमति देता है। ऐतिहासिक रूप से जल्लाद के काम को कंलकित समझा जाता है, जिसके चलते इस काम को करने वाले लोग अपनी पहचान को पर्दे में रखते हैं।
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अल्बर्ट पियरेपॉइन्ट (1905–1992)
- जल्लाद के रूप में सबसे मशहूर आदमी का नाम अल्बर्ट पियरेपॉइन्ट है। अपने 25 साल की नौकरी के दौरान इस अंग्रेज़ जल्लाद ने लगभग 600 लोगों को मौत के घाट उतारा। इनमें से कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्हें बाद में दोषी नहीं पाया गया। तस्वीर में, 1973 के दौरान उन्हें अपना संस्मरण लिखते हुए दिखाया गया है।
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मौत की सज़ा का इंतज़ार
- मौजूदा समय में, अमेरिका की जेलों में लगभग 2,500 व्यक्ति मौत की सज़ा पाने का इंतज़ार कर रहे हैं। इनमें से हर साल कुछ ही लोगों को मौत की सज़ा दी जाती है, क्योंकि अपील की प्रक्रिया में वर्षों बल्कि दशकों का समय लग जाता है।
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मौत की सज़ा वाले राज्य
- 2023 में, अमेरिका के 24 राज्यों में मौत की सज़ा का प्रावधान है। वाशिंगटन डीसी समेत 23 राज्य अपने यहाँ मौत की सज़ा को ख़्तम कर चुके हैं। कैलीफॉर्निया, ऑरेगॉन और पेन्सिलवेनिया में फिलहाल मौत की सज़ा पर रोक लगी हुई है।
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निर्दोषों को मौत की सज़ा
- मौत की सज़ा में किसी निर्दोष व्यक्ति को सज़ा दिए जाने का ख़तरा रहता है। इक्वल जस्टिस इनिशिएटिव के मुताबिक 1973 से अब तक अमेरिका में 192 लोगों को निर्दोष पाया गया है और उनकी मौत की सज़ा निरस्त कर दी गई है। इसी अवधि के दौरान 1,573 क़ैदियों को मौत की सज़ा भी दी गई है। द इनोसेंस प्रॉजेक्ट के 2014 में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक जिन लोगों को मौत की सज़ा दी गई है, उनमें 4 फ़ीसद लोग निर्दोष थे।
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आख़िरी खाना
- कॉर्नेल यूनिवर्सिटी द्वारा की गई रिसर्च के मुताबिक मौत की सज़ा पाने से पहले क़ैदियों द्वारा हल्के-फ़ुल्के खानों, जैसे- हैमबर्गर, फ़्रेंच फ़्राइज़, स्टीक, आइस क्रीम और पाई, आदि की माँग की जाती है।
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जानलेवा ज़हर
- अमेरिका में जान लेने के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह की ज़हरीली दवाएँ इस्तेमाल की जाती है। अधिकाँश राज्यों में 'थ्री-ड्रग' का तरीक़ा अपनाया जाता है, जिनमें पहली दवा सोडियम थायोपेंटल का इस्तेमाल क़ैदी को बेहोश करने के लिए किया जाता है। दूसरी दवा पैनक्यूरोनियम ब्रोमाइड माँसपेशियों को लाचार बनाती है और तीसरी दवा पौटेशियम क्लोराइड दिल की धड़कनों को रोक देती है, जिससे मौत हो जाती है।
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मौत की सज़ा के बारे में अजीब-ओ-ग़रीब बातें
किसी गंभीर जुर्म के लिए उचित सज़ा, क्रूरता, अमानवीयता या फिर अपमानजनक सज़ा?
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मौत की सज़ा एक ऐसा विषय है, जिसके बारे में हमारे समाज में अक्सर बातें होती रहती है। इसे मृत्युदंड के नाम से भी जाना जाता है। मौत की सज़ा अक्सर सबसे गंभीर अपराधों, जैसे -क़त्ल आदि के मुजरिमों को सज़ा देने के लिए दी जाती है। लोगों द्वारा जानबूझकर या अनजाने में किए गए अपराधों के बदले उन्हें दी जाने वाली उचित सज़ा क्या है, इसको लेकर दशकों से बहस चली आ रही है और इस पर सभी की अलग-अलग राय है। एक ओर जहाँ 100 से अधिक देशों ने मौत की सज़ा के प्रावधान को ख़त्म कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ़ बहुत से देशों में यह अभी भी चल रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मौत की सज़ा को क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक सज़ा माना है। इस पर आपकी क्या राय है?
इस गैलरी पर क्लिक करें और जानें मौत की सज़ा से जुड़ी अजीब-ओ-ग़रीब बातों के बारे में।
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