मौत की सज़ा देने का रिवाज बहुत सालों से चला आ रहा है। इतिहास में मौत की सज़ा देने के लिए जल्लादों ने बहुत से तरीके अपनाए, चाहे वो "गुलोटीन" से सर काटना हो या फंदे पर लटकाना। लेकिन सभी तरीकों का एक ही मकसद था - अपराधी को मौत के घाट उतारना। लेकिन, वो लोग कौन हैं जो लोगों को मौत के घाट उतारते हैं और आप इनके बारे में क्या जानते हैं?
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डेबलर एक फ्रांसीसी जल्लाद था। ऐसा कहा जाता है कि अपने पूरे जीवन में उसने 395 लोगों का सर कलम किया था।
डेबलर का संबंध जल्लादों के परिवार से था और वह देश में काफी मशहूर थे। 1899 में उसे प्रमुख जल्लाद (एग्ज़ीक्यूशनर-इन-चीफ़) बना दिया गया।
75 साल की उम्र में मेट्रो स्टेशन पर दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई। जिस समय उसकी मौत हुई, उस समय भी वो किसी को मौत की सज़ा देने जा रहा था।
डेबलर ने किस-किस की जान ली, उसका हिसाब-किताब उसने 14 डायरियों में लिखा हुआ था। 2003 में, एक नीलामी में डेबलर की ये डायरी 100,249 यूरो में नीलाम हुईं। महंगाई के हिसाब से देखें, तो यह रकम आज के 150,000 अमेरिकी डॉलर के बराबर है।
अल्बर्ट गुस्ताव स्वीडन का जल्लाद था। वह स्वीडन का आख़िरी जल्लाद था। वह स्वीडन में मौत की सज़ा देने वाला आख़िरी व्यक्ति भी था।
स्वीडन में अंतिम मौत की सज़ा अगस्त, 1980 में एक औरत को दी गई थी, जिसे डेह्लमैन ने अंजाम दिया था (तस्वीर में देखें)। मौत की सज़ा पाने वाली औरत का नाम अन्ना मेन्सडॉटे था।
अन्ना ने अपनी बहू की जान ले ली थी, जिसके चलते उसका सर कलम किया गया था। यह मामला केवल हत्या के अलावा अन्ना और उसके बेटे के बीच अवैध संबंध की चर्चा के चलते भी सुर्ख़ियों में रहा।
अपने पिता और चाचा की तरह पियरेपॉइन्ट भी एक जल्लाद बना। वह ब्रिटेन में काफी मशहूर हुआ। पियरेपॉइन्ट ब्रिटेन का आख़िरी आधिकारिक जल्लाद था।
अल्बर्ट पियरेपॉइन्ट के बारे में कहा जाता है कि उसने 1932 से लेकर 1956 के बीच 400 लोगों को मौत के घाट उतारा (कुछ लोगों के मुताबिक यह संख्या 600 भी हो सकती है)। इनमें से 200 लोग मशहूर "न्यूरेमबर्ग ट्रायल" के नाज़ी युद्ध बंदी थे।
पियरेपॉइन्ट ने कुछ मशहूर लोगों को मौत की सज़ा दी। इनमें नाज़ी अफ़सर इरमा ग्रेज़ और जोसेफ़ क्रेमर (तस्वीर में) के अलावा "एसिड बाथ मर्डरर" के नाम से मशहूर जॉन हेग, "रिलिंगटन प्लेस स्ट्रैंगलर" के नाम से मशहूर जॉन क्रिस्टी और "द ब्लैकआउट रिपर" के नाम से जाना जाने वाला गॉर्डन कमिंस शामिल हैं।
विलियम मरवुड ब्रिटिश क्राउन (राजशाही) का जल्लाद था। उसने लोगों के फाँसी पर लटकाने का एक नया तरीका निकाला था। जिसमें व्यक्ति गर्दन टूटने की वजह से जल्दी मर जाता था।
विलियम मरवुड द्वारा खोजे गए फाँसी के नए तरीके से मौत की सज़ा पाने वाले सबसे पहले व्यक्ति का नाम फ्रेडरिक हॉरी था (तस्वीर में उसकी क़ब्र)। हॉरी को अपनी बीवी के क़त्ल के इल्ज़ाम में मौत की सज़ा दी गई थी।
9 साल के भीतर मरवुड ने 176 लोगों को फाँसी पर लटकाया। इनमें आयरिश नेशनल इन्विन्सिबल्स गैंग (द इन्विन्सिबल्स) के बहुत से सदस्य भी शामिल थे।
जेम्स बेरी ने अपने कैरियर की शुरुआत विलियम मरवुड के असिस्टेंट के रूप में की थी। विक्टोरियन युग के दौरान वह एक मशहूर जल्लाद बन गया।
कहा जाता है कि, 1884 से 1891 के बीच जेम्स बेरी ने 130 लोगों को मौत के घाट उतारा। इनमें विलियम हेनरी बरी (तस्वीर में देखें) भी शामिल है। हेनरी को मशहूर सीरियल किलर जैक- द रिपर होने के शक में फाँसी दी गई थी।
फ्रांस के इस शाही जल्लाद का संबंध जल्लादों के परिवार से था। हेनरी ने 40 सालों तक जल्लाद का काम किया। ऐसा माना जाता है कि उसने पूरे जीवन में 3,000 लोगों की जान ली।
हेनरी ने जिन लोगों को फाँसी दी, उनमें सबसे ज़्यादा मशहूर व्यक्ति राजा लुई 16 (तस्वीर में देखें) थे। जिन्हें 21 जनवरी, 1973 को फाँसी दी गई थी।
बुगाती को मेस्ट्रो टिट्टा (मास्टर ऑफ जस्टिस) के नाम से जाना जाता है। जिसने 1796 से लेकर 1864 तक (लगभग 70 साल) पेपल राज्य (मौजूदा समय में इटली) के लिए जल्लाद का काम किया।
माना जाता है कि अपने पूरे जीवन में बुगाती ने 500 पेपल लोगों को मौत के घाट उतारा।
रेकॉर्ट ने नाज़ियों के अलावा वेमार रिपब्लिक और बाद में जर्मनी में अमेरिकी सेना के लिए जल्लाद का काम किया। अपने पूरे जीवन में रेकॉर्ट ने 3,000 लोगों की जान ली।
जॉन केच इंग्लैंड में जल्लाद के रूप में काफी मशहूर हुआ, क्योंकि वो लोगों को बहुत दर्दनाक तरीके से मौत के घाट उतारता था। कथित तौर पर, वह कुल्हाड़ी के एक वार से व्यक्ति को ना मार पाने पर, उसे जान से मारने के लिए अपनी कुल्हाड़ी से बार-बार घुमाकर वार करता था।
केच को विलियम रसेल, लॉर्ड रसेल और मॉनमाउथ के पहले ड्यूक जेम्स स्कॉट (तस्वीर में देखें) के अलावा अन्य लोगों की जान लेने के लिए जाना जाता है।
जैन म्येडलार, 17वीं सदी में बोहेमिया (मौजूदा चेक रिपब्लिक) का जल्लाद था। वह मौत की सज़ा देते समय लाल चोगा पहनने के लिए मशहूर था। म्येडलार को 1621 में प्राग के ओल्ड टाउन स्क्वेयर पर बोहेमियन विद्रोह के 27 नेताओं को मौत के घाट उतारने के लिए जाना जाता है।
फ्रैंज श्मिट ने 1573 से लेकर 1617 तक बवरिया (जर्मनी) में जल्लाद का काम किया। उसकी डायरी के मुताबिक, श्मिट ने 361 लोगों को मौत के घाट उतारा।
रिचर्ड ने 1639 से लेकर 1649 तक लंदन में जल्लाद का काम किया। ब्रैंडन को किंग चार्ल्स प्रथम की जान लेने के लिए भी जाना जाता है।
हालाँकि चार्ल्स प्रथम की जान लेने वाला रिचर्ड था, लेकिन ये केवल संभावना मात्र हो सकती है। क्योंकि, चार्ल्स प्रथम की फाँसी की तस्वीरों में जल्लाद ने एक नकाब पहना हुआ है। 1649 में, एक पर्चा सामने आया, जिसमें रिचर्ड ने कबूल किया था कि उसने ही चार्ल्स प्रथम को मौत के घाट उतारा है।
इस जल्लाद को न्यूयॉर्क स्टेट इलेक्ट्रीशियन के नाम से भी जाना जाता है। यह जल्लाद 1926 से 1939 के बीच इलेक्ट्रिक चेयर पर बिठाकर लोगों को मौत की सज़ा देता था। इलियट को सोवियत संघ के लिए जासूसी के आरोपी माने गए जूलियस और एथेल रोज़ेनबर्ग की जान लेने के लिए भी जाना जाता है।
अल्बा का तीसरा ड्यूक फर्नांडो अल्वारेज़ डि टॉलेडो, स्पेन के राजा किंग फिलिप का चीफ एग्ज़ीक्यूशनर ( प्रमुख जल्लाद) था।
अल्बा का यह ड्यूक, स्पेन में धार्मिक जाँच (कैथोलिक धर्म से भटकने वाले लोगों की पहचान के लिए) में काफ़ी सक्रिय रहा। इसे नीदरलैंड्स के गवर्नर के रूप में हज़ारों डच लोगों की जान लेने के लिए जाना जाता है। नीदरलैंड्स के लोग इसे "आयरन ड्यूक" कहते थे।
इतिहास के सबसे बेरहम जल्लाद
जिन्होंने बहुत मशहूर लोगों की भी जान ली
LIFESTYLE Capital punishment
मौत की सज़ा देने का रिवाज बहुत सालों से चला आ रहा है। इतिहास में मौत की सज़ा देने के लिए जल्लादों ने बहुत से तरीके अपनाए, चाहे वो "गुलोटीन" से सर काटना हो या फंदे पर लटकाना। लेकिन सभी तरीकों का एक ही मकसद था - अपराधी को मौत के घाट उतारना। लेकिन, वो लोग कौन हैं जो लोगों को मौत के घाट उतारते हैं और आप इनके बारे में क्या जानते हैं?
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