ऐसे बहुत से रास्ते हैं जिनसे आपको संत की उपाधि मिल सकती है, लेकिन इनमें सबसे मुश्किल और दर्दनाक तरीक़ा 'शहादत' है। बहुत से संतों को दर्दनाक यातनाओं से गुज़रना पड़ा, जिससे उनकी दुखद मौत हो गई। क्या आप ज़िंदा इंसान की चमड़ी उतारे जाने के बारे में सोच सकते हैं? या फिर, सर काटने से पहले पूरे शरीर को चीर फाड़ना? क्रिश्चियानिटी के इतिहास में ऐसे ही कुछ बेरहम तरीक़ों से संतों को मौत के घाट उतारा गया है।
इस गैलरी पर क्लिक करें और जानें कुछ ऐसे बेरहम तरीक़ों के बारे में, जिनसे संतों को मारा गया।
एक अमीर परिवार से आने वाली लूसी की शादी, एक अमीर आदमी से तय हुई थी। लेकिन, उन्होंने अपना जीवन ईसा मसीह को समर्पित करने और हमेशा कुँवारी रहने का फ़ैसला किया। लेकिन, जिस आदमी से उनकी शादी तय हुई थी, उसने रोमन अधिकारियों को इसकी जानकारी दे दी। जिसके बाद रोमन अधिकारियों ने उन्हें जबरन वेश्यावृति करने की सज़ा सुनाई।
लेकिन जब लोग लूसी को वेश्यालय ले जाने के लिए आए, तो वह लूसी को अपनी जगह से हिला भी नहीं सके। बहुत सारे लोगों ने मिलकर लूसी को उनकी जगह से हिलाने की कोशिश की, लेकिन वह सफ़ल नहीं हुए। यहाँ तक की बैलों से भी लूसी को खींचने की कोशिश की गई, लेकिन चमत्कारिक रूप से वे भी नाकाम रहे। निराश होकर उन्होंने लूसी को टॉर्चर करने का फैसला किया। पहले उन्होंने लूसी को जलाने की कोशिश की, लेकिन वो जली भी नहीं पाईं। इसके बाद सज़ा देने वालों ने चाकू मारकर उनकी जान ले ली।
माना जाता है कि लूसी का क़त्ल करने से पहले उन्होंने उनकी आँखें निकाल ली थीं। यही वजह है कि पेंटिंग्स में उन्हें एक प्लेट पकड़े हुए दिखाया जाता है, जिसमें उनकी आँखें रखी हैं। सेंट लूसी को अंधे लोगों का संरक्षण करने वाली संत माना जाता है।
सेंट लूसी की तरह, सिसली की इस वर्जिन सेंट को रोमन लोगों द्वारा सताया गया था। एक शक्तिशाली रोमन अधिकारी को ठुकराने पर उन्हें जेल में डालकर टॉर्चर किया गया था।
टॉर्चर के दौरान अगाथा के स्तन काट दिए गए थे। लोगों का मानना है कि उस समय अगाथा के भीतर सेंट पीटर की आत्मा आ गई थी, जिसने उनके सारे ज़ख़्म ठीक कर दिए थे। फिर रोमनों ने उन्हें आग में जलाने की कोशिश की, लेकिन कहा जाता है कि एक रहस्यमयी भूकँप ने आग को बुझा दिया। जब तक अगाथा की मौत नहीं हो गई, तब तक उन्हें यातनाएँ दी जाती रहीं, जिनमें गर्म अंगारों में लपेटना और तपती चट्टानों पर लिटाना भी शामिल हैं।
सेंट अगाथा को आमतौर पर एक प्लेट में अपने कटे हुए स्तनों को पकड़े हुए दिखाया जाता है। उन्हें बच्चों को दूध पिलाने वाली और उनकी देखभाल करने वाली औरत, स्तन कैंसर के मरीज़ों और स्तन से जुड़ी अन्य चीज़ों की संरक्षक संत माना जाता है। एक दिलचस्प बात यह है कि उनके चित्रों को देखने पर लगता है कि उन्होंने प्लेट में दो छोटी घंटियाँ पकड़ी हुई हैं, जिसके चलते घंटी बनाने वाले भी उन्हें अपना संरक्षक संत मानते हैं।
चौथी शताब्दी के इस बिशप को रोमनों ने जेल में क़ैद कर लिया था। सेंट ब्लेज़ ने एक ऐसे लड़के की जान बचाई थी, जिसका गले में मछली की हड्डी फंसने के कारण दम घुटने वाला था। इसलिए गले की बीमारियों के शिकार लोग उन्हें अपना संरक्षक संत मानते हैं।
उनकी मौत बेहद भयानक तरीक़े से हुई थी। उनकी खाल को ऊन सुलझाने वाले लोहे के गर्म कंघों से छील दिया गया था। जिसके बाद उनका सर कलम कर दिया गया था।
ईसा मसीह के बहुत से शिष्यों को बड़ी बेरहमी से मारा गया था, जिनमें बार्थोलोम्यू भी शामिल हैं। कहा जाता है कि उनकी मौत बड़े ही दर्दनाक तरीक़े से हुई थी।
बार्थोलोम्यू की चमड़ी उनके ज़िंदा रहते ही उतार ली गई थी। यही नहीं, इसके बाद उनका सर भी काट दिया गया था।
लॉरेन्स, पोप सिक्सट्स द्वितीय के नौजवान शिष्य थे। जब तीसरी शताब्दी में पोप का क़त्ल हो गया, तो रोमनों ने लॉरेन्स को गिरफ़्तार कर लिया। उन्होंने लॉरेन्स से चर्च की सारे संपत्ति और ख़ज़ाना देने की माँग की, लेकिन लॉरेन्स सारा धन ग़रीबों और बीमार लोगों में बाँट चुके थे।
जब रोमनों ने लॉरेन्स से ख़ज़ाना माँगा, तो उन्होंने ग़रीबों और बीमारों को सामने लाकर खड़ा करते हुए कहा कि,"ये रहा चर्च का ख़ज़ाना"। रोमनों के लिए तो इतना ही बहुत था। उन्होंने लॉरेन्स को तब तक टॉर्चर किया, जब तक उनकी मौत नहीं हो गई।
सबसे पहले उन्होंने लॉरेन्स को कोड़े मारे और गर्म सलाख़ों से जलाया। फिर उन्हें ज़िंदा आग में भून दिया गया। माना जाता है कि वे बहुत मज़ाक़िया थे। उन्होंने यातना देने वालों से मरते-मरते भी कहा था कि ,"मुझे पलट कर भूनो, मैं इस तरफ़ से भुन चुका हूँ" और "मैं अब भुन चुका हूँ, तुम लोग मुझे खा सकते हो"। लॉ़रेन्स को फायर फाइटर्स, रसोईयों और चमड़े का काम करने वालों के अलावा हास्य कलाकारों का भी संरक्षक संत माना जाता है।
सेंट सेबेस्टियन की बहुत सी पेंटिग्स दिखाई देती हैं, जिनमें उनका पूरा शरीर तीरों से भरा हुआ होता है। लेकिन, उनकी मौत तीर के ज़ख़्मों के कारण नहीं हुई थी।
सेबेस्टियन रोम आकर, रोमन सेना में भर्ती हो गए। उन्होंने साथी सिपाहियों को ईसाई बनाना शुरू कर दिया, जो बादशाह डायोक्लेशियन को नागवार गुज़रा। जिसके चलते उन्हें तीरों से छलनी करने की सज़ा सुनाई गई।
लेकिन, चमत्कारिक रूप से एक ईसाई विधवा ने सेबेस्टियन को ठीक कर दिया। जिसके बाद, वो दोबारा बादशाह के पास पहुँचे। उन्हें देखकर बादशाह डायक्लेशियन को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। इस बार बादशाह उन्हें मारने में कामयाब हो गया।
इस पूर्व बिशप को ब्रेशिया, इटली से निर्वासित कर दिया गया था। जिसके बाद वो इमोला चले गए और रिटायर होकर एक स्कूल टीचर बन गए। जहाँ बादशाह ने शहर के लोगों को आदेश दिया कि पूरे शहर को "पेगन देवता" के सामने बलि देनी होगी। कैसियन ने देवता की मूर्ति के सामने बलि देने से इंकार कर दिया, जिससे वह मुसीबत में पड़ गए।
स्थानीय अधिकारियों ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया और मौत की सज़ा सुनाई। इसमें एक अजीब बात यह है कि उनकी जान लेने वाले उनके ही दो छात्र थे, जिन्होंने लोहे के पतले और धारदार चाकुओं से धीमे-धीमे उनकी जान ली।
सेंट सेसिलिया को संगीत की संरक्षक संत माना जाता है। उनकी भी मौत बड़े दर्दनाक तरीक़े से हुई थी। सबसे पहले रोमनो ने उन्हें एक गर्म स्नानघर में बंद करके दम घोंटकर मारने की कोशिश की, लेकिन कहा जाता है कि उन्हें उस स्नानघर में पसीना तक भी नहीं आया।
जिसके बाद रोमनों ने उनका सर काटने की कोशिश की। हालाँकि यह भी आसान नहीं था। तीन वार करने के बाद भी जल्लाद उनका सर नहीं काट पाए, जिसके बाद उन्हें उसी स्थिति में छोड़ दिया गया और 3 दिनों तक ख़ून बहने के बाद उनकी मौत हो गई।
एग्नेस भी एक सुंदर युवती थीं, जिन्होंने एक शक्तिशाली व्यक्ति (गवर्नर का बेटा) के रिश्ते को ठुकरा दिया था। क्योंकि एग्नेस ने अपनी पवित्रता भगवान को समर्पित करने का वादा किया था।
जिसके चलते, उन्हें एक वेश्यालय में भेज दिया गया। लेकिन, चमत्कारिक रूप से उनके बालों ने बढ़कर उनके नंगे शरीर को ढक लिया। जो भी व्यक्ति उन्हें कामुकता से देखता, वह अँधा हो जाता।
फिर उन्हें ज़िंदा जलाने की कोशिश की गई, लेकिन चमत्कारिक रूप से आग की लपटें दो हिस्सों में बंट गईं। जिसके बाद फैसला किया गया कि उनके गले में चाकू मारकर उनका सर धड़ से अलग कर दिया जाए। इससे उनकी मौत हो गई।
बार्बरा के पिता डायोस्कॉरस, एक अमीर आदमी थे और मूर्तियों की पूजा करते थे। उन्होंने एक टॉवर बनवाया, ताकि वो अपनी बेटी बार्बरा को उनकी शादी तक उसमें क़ैद रख सकें। लेकिन, बार्बरा ने अपना जीवन ईसा मसीह को समर्पित कर दिया था और कुँवारी रहने की क़सम खाई थी।
जब टॉवर बन रहा था, तो डायोस्कॉरस कहीं चला गया। जब वह वापस आया तो उसने देखा कि टॉवर में 3 खिड़कियाँ बनी हुई थीं, जो पवित्र क्रॉस का प्रतीक थीं।
इससे डायोस्कॉरस को पता चल गया कि बार्बरा ईसाई है और उसने बार्बरा को बहुत यातनाएँ देने के बाद उनका सर क़लम कर दिया। इसके बाद, बार्बरा के पिता पर बिजली आ गिरी और उसकी मौत हो गई।
इस गैलरी की अन्य महिला संतों की तरह कैथरीन भी कुंवारी संत थीं। इन्हें भी चौथी शताब्दी में रोमनों ने बहुत यातनाएँ दीं। अलेक्ज़ेंड्रिया की संत कैथरीन ने भी अपना जीवन ईसा मसीह को समर्पित कर दिया था।
कैथरीन क्रिश्चियानिटी पर विद्वानों और दार्शनिकों से बहस करती थीं, जिससे उन्होंने कुछ विद्वानों और दार्शनिकों को प्रभावित करके ईसाई बना लिया। जिसके बाद उन्हें जेल में डालकर यातनाएँ दी गईं।
सेंट कैथरीन को एक नोंकदार पहिए (एक तरह का यातना देने का यंत्र, जिसे अब कैथरीन व्हील के नीम से जाना जाता है) के ज़रिए मौत की सज़ा सुनाई गई थी। लेकिन, जैसे ही कैथरीन ने उसे छुआ, वह टुकड़े-टुकड़े हो गया, जिसके बाद उनका सर काट दिया गया।
मरक्यूरियस तीसरी शताब्दी के दौरान रोमन सेना में काम करते थे। एक बार लड़ाई के दौरान एक फरिश्ता उनके पास आया, जिसने उन्हें लड़ाई में जीत हासिल करने की ख़ुशख़बरी दी। हुआ भी वही, मरक्यूरियस जीत गए। लेकिन, अब मरक्यूरियस भगवान के क़र्ज़दार हो चुके थे।
जिसके चलते, मरक्यूरियस ने अपना जीवन ईसा मसीह को समर्पित कर दिया। लेकिन, जब बादशाह डेकियस को पता चला कि मरक्यूरियस ईसाई हो गए हैं, तो उसने मरक्यूरिस को जलती आग के ऊपर एक खंभे से बाँधकर, चाकुओं से काटने का हुक्म दिया।
कहा जाता है कि उनके ख़ून ने जलती हुई आग को बुझा दिया था। जिसके बाद, एक फरिश्ते ने आकर उन्हें वापस पहले जैसा कर दिया। इसके बाद उनका सर काट दिया गया।
ऐसे क्रूर तरीक़े, जिनके चलते संतों की मौत हुई
इन संतों में से कुछ को तो बहुत ही बेरहमी से मारा गया
LIFESTYLE Death
ऐसे बहुत से रास्ते हैं जिनसे आपको संत की उपाधि मिल सकती है, लेकिन इनमें सबसे मुश्किल और दर्दनाक तरीक़ा 'शहादत' है। बहुत से संतों को दर्दनाक यातनाओं से गुज़रना पड़ा, जिससे उनकी दुखद मौत हो गई। क्या आप ज़िंदा इंसान की चमड़ी उतारे जाने के बारे में सोच सकते हैं? या फिर, सर काटने से पहले पूरे शरीर को चीर फाड़ना? क्रिश्चियानिटी के इतिहास में ऐसे ही कुछ बेरहम तरीक़ों से संतों को मौत के घाट उतारा गया है।
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